गरीबों के इलाज के लिए डाक्टर की मनी पॉवर कट

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के गरीबों का निशुल्क इलाज जटिल हो गया है। अगर बीपीएल या आयुष्मान योजना के दायरे में मरीज आता है तो इलाज मिलने की उम्मीद मिल जाती है, लेकिन गरीबों व जरूरतमंद मरीजों को तत्काल इलाज की सुविधा मुहैया कराने की डाक्टरों को दिया जाने वाला बजट बंद कर दिया गया है। केजीएमयू प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी समय- समय पर अपनी योजनाओं को मरीजों पर प्रयोग किया करते है। इसके तहत गरीबों व जरूरत मंद मरीजों को तत्काल इलाज में दिया जाना वाला बजट बंद कर दिया गया है। ऐसे में अब ट्रॉमा सेंटर आने वाले गरीब मरीज आर्थिक संकट होने पर दवा व जांच के लिए भगा दिया जाता है। उसकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं रहता है, सभी बड़े अधिकारियों के नियमों का हवाला देकर कन्नी काट लेते है। उनका कहना है कि ऑनलाइन होने के बाद नियमो में फेरबदल किया गया है।

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केजीएमयू में पहले आने वाले गरीब व जरूरतमंद मरीजों पास बीपीएल कार्ड न होने पर उनकी तत्कालीन मदद रेजीडेंट से लेकर फैकल्टी डॉक्टर करने की क्षमता रखते थे। इसके लिए रेजीडेंट डाक्टर को 500 रुपये, सीनियर रेजीडेंट. 2000 रुपये के अलावा विभागाध्यक्ष व अन्य सीनियर फैकल्टी को 5000 रुपये की जांच व दवा मुक्त दिला सकते थे। इसमें डॉक्टर गरीब व जरूरत लोगों की मदद के लिए वेलफेयर सोसाइटी के तहत दवाएं दिलाते थे, पर अब सिस्टम खत्म होने से गरीब मरीज इलाज के लिए तड़प रहा है। आईटी सेल प्रभारी डॉ. संदीप भट्टाचार्य का कहना है कि मरीज पास बीपीएल कार्ड नहीं है तो उसे मुफ्त इलाज मिलना मुश्किल है। अभी नयी योजना गरीब मरीजों की मदद के लिए अभी कोई विकल्प नहीं बना है।

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