जिम्मेदार कौन ?
बैक्टीरिया : कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी, सेलमोनेला, शिगेला, इ. कॉली, वाइब्रियो।
वायरल : ऐंट्रोवाइरस, रोटावाइरस, एस्ट्रोवायरस, ऐडेनोवाइरस।
अन्य : इ. हिस्टालाइटिका, गियार्डिया, आंत के कीड़े।
कैसे होता है संक्रमण ?
दूषित पानी पीना, दूषित भोजन करना, सड़क के किनारे बिकने वाली भेल पूड़ी खाना, होटल या ऑफिस कैंटीन आदि के भोजन के जरिये ही इन वाइरसों, कीटाणुओं आदि का संक्रमण होता है।
संक्रमण काल – शारीरिक रचना के मुताबिक कुछ घंटो से लेकर ७ दिनों तक।
लक्षण – उलटी और दस्त। दिन में कई बार पतला दस्त होना। यह स्थिति ३ दिन या इससे भी अधिक दिनों तक रह सकती है।
सुरक्षा के उपाय –
अधिक दस्त होने के कारण चूँकि शरीर के आवश्यक तरल पदार्थ निकल जाते हैं, लिहाज उनकी आपूर्ति के लिए तरल पदार्थों का सेवन करते रहना जरूरी होता है। इसके लिए एक गिलास उबला हुआ पानी लेकर उसे ठंडा कर लें। फिर उसमें चुटकी भर नमक और एक चम्मच चीनी मिलकर घोल तैयार करें। उसी का बार बार सेवन करें। जहाँ तक खाने का सवाल है तो ब्रेड, सूप, चावल का मांड, दलिया आदि हल्का भोजन ही लें। यदि दस्त और उलटी अधिक हो रही है तो डॉक्टरी इलाज जरूरी हो जाता है।
रोकथाम –
गैस्ट्रो की बीमारी की रोकथाम के लिए पीने के पानी को कम से कम १० मिनट तक खौलाएं। यही एक मात्र उपाय है जिसे अपनाकर आप खतरनाक कीटाणुओं और वाइरसों को नष्ट कर सकते हैं। कोई भी फल या सब्जी अच्छी तरह धोये बिना न खाएं। क्योंकि दूषित फल सब्जियों का इस बीमारी में बहुत बड़ा हाथ होता है। रोड के किनारे खुले में मिलने वाली चाट, भेल पानी पूरी वालों की भी सेवा लेना बंद कर दें। भोजन करने से पहले हाथ धोना न भूलें। और अंत में यह अवश्य देख लें की कहीं आपके नल में नाली का गन्दा पानी रिसकर तो नहीं आ रहा है ?