लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में आहारनली के विकृति के शिशु की सर्जरी की वेंटिग को कम करने की कोशिश की जा रही है। इसी के तहत पिछले 15 दिनों में तीन शिशुओं में आहार नली बना कर डाक्टरों ने नयी जिंदगी दी है। इनमें एक दो वर्षीय शिशु ने कीटनाशक पी लिया था, जिसके बाद उसकी आहानली में दिक्कत आ गयी थी आैर खाने में पीने में असमर्थ हो गया था।
विभाग प्रमुख डा. जेडी रावत ने बताया कि उनके शिशुओं के जन्मजात विकृतियों के अलावा शिशु की अन्य सर्जरी के केस भी राजधानी के अलावा जनपदों व विभिन्न राज्यों से आते है। ऐसे में सर्जरी की वेंटिग बढ़ जाती है। इसी के तहत आहार नली विकृति की तीन सर्जरी की गयी।
दो शिशुओं की जन्म से आहार नली नहीं बनी हुई थी। इन शिशुओं की आहार नली बनाने से पहले जिंदा रखने के लिए आमाशय के पास से नली डाल कर बाहर निकाली गयी, ताकि शिशु को तरल पदार्थ दिया जा सके आैर साथ कफ व स्लाइवा निकाल जा सके। इसके बाद सर्जरी में नयी आहारनली बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है।
डा. रावत ने बताया कि आमाशय से आहार नली बनायी गयी। इन दोनों को शिशुओं को आईसीयू में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं हुई। उन्होंने बताया कि आलमबाग निवासी दो वर्षीय बच्चें ने गलती से कीट नाशक पी लिया था, जिसके कारण अंदर आहारनली जल गयी थी। सर्जरी में आहार नली बनायी गयी। सर्जरी टीम में उनके साथ डा. सुधीर सिंह, डा. पींयूष कुमार, डा. प्रीति, डा. मनीष, एनेस्थीसिया में डा. विनीता सिंह , डा. सतीश , डा. प्रेमराज आदि थे।