लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डाक्टरों और कर्मचारियों ने एक बार फिर एक बेसहारा कोमा में मरीज को नयी जिन्दगी देने के साथ ही उसे उसके परिवार से मिला भी दिया। बिहार निवासी इस मरीज को पुलिस गोंडा अस्पताल से रेफर कराकर केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर लायी थी। उस वक्त मरीज कोमा में था, डाक्टरों ने इलाज करते हुए उसे कोमा से निकाला लिया।
केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक व न्यूरोसर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. बीके ओझा ने बताया कि करीब दो सप्ताह पूर्व 17 मई को पुलिस एक मरीज को लेकर आयी। पुलिस ने बताया कि मरीज गोण्डा के बाबू ईश्वर सरन जिला अस्पताल रेफर किया गया है। मरीज की हालत काफी खराब थी और उसका इलाज सिर्फ ट्रामा सेन्टर में ही हो सकता था, इसी कारण यह रेफर किया गया। मरीज को लेकर आए पुलिस कर्मी सतीश यादव की गुजारिश के बाद ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कर लिया गया। डॉ. ओझा ने बताया कि मरीज शुरू में कोमा में था। काफी इलाज के बाद वह कोमा से बाहर आया और धीरे-धीरे उसने अपने बारे में कुछ जानकारी दी। मरीज ने बताया कि उसका नाम विक्रम है, उसके पिता का नाम देव मलिक, मां कलावती है और बहन का नाम रानी है।
वह बिहार के अररिया जिले के गांव सिसवा का रहने वाला है। डॉ. ओझा ने बताया कि सीनियर रेजीडेंट डॉ. अनूप ने इंटरनेट की मदद से जगह खोज निकाला और फिर संबंधित पुलिस चौकी के माध्यम से विक्रम के परिवार से संपर्क कर मरीज की जानकारी परिवार तक पहुंचायी। घरवालों को जैसे ही यह पता चला कि विक्रम ट्रामा सेन्टर में है उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस तरह से जिंदगी की जंग जीतने वाले विक्रम के लिए पहली जून का दिन खुशियों भरा रहा।
डॉ. ओझा ने बताया कि हमें खुशी है कि केजीएमयू के डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की मदद से न मरीज का न सिर्फ बेहतर इलाज हो सका बल्कि मरीज को उनके परिजनों से मिला भी दिया गया। उन्होंने बताया कि बीते दो महीनों में यह तीसरा मरीज है जिसे लावारिस हालत में यहां लाया गया था और उसे परिजनों से मिलाया गया। उन्होंने कहा कि इसके लिए सीनियर रेजीडेंट डॉ. अनूप, नर्स शकुंतला और उनकी टीम के साथ ही सिस्टर शशि बधाई की पात्र हैं जिन्होंने मरीज की देखभाल की है।
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