ग़ज़ल
देखो बहन ने रिश्ता भी क्या खूब निभाया है
उसके लिए रो रही है जिसने उसे चिढ़ाया है
ये गमले क्यारी तितली पंछी सब हैं खामोश
गुल एक हुआ जैसे आज खुशबु से पराया है
मुझसे तो आज एक आंसू तक न छिपाया गया
उसने तो मेरी कितनी ही गलतियों को छुपाया है
मिल जाएँ गम हिस्से के उसके भी काश मुझे
खातिर इसी दुआ की हाथ मैंने फैलाया है
अरे ऐसा भी नहीं के मुझे उससे प्यार नहीं
ये तो आंसू हैं जो यूँ ही निकल आया है
– दिलीप मेवाड़ा
[box type=”info” fontsize=”16″]हर किसी में कवि छुपा होता है। कोई बाथरुम सिंगर होता है तो शब्दो की रचना कापी पर उकेर देता है। शब्द जब कविता/ शायरी बन जाते है तो उसे अभिव्यक्त करने के लिए मंच भी चाहिये होता है ऐसी रचनाकारों को हम एक मंच दे रहे है। आप अपनी कविता/शायरी/ गजल को बेहतर तरीके सजा कर हमे भेज सकते है। हमारा theamplenews@gmail.com यह मेल है। हम उसे पोर्टल के माध्यम से लोगो के बीच पहुंचाकर आपकी प्रतिभा को एक मंच दे रहे है।[/box]