ग़ज़ल – देखो बहन ने रिश्ता भी क्या खूब निभाया है

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ग़ज़ल

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देखो बहन ने रिश्ता भी क्या खूब निभाया है
उसके लिए रो रही है जिसने उसे चिढ़ाया है

ये गमले क्यारी तितली पंछी सब हैं खामोश
गुल एक हुआ जैसे आज खुशबु से पराया है

मुझसे तो आज एक आंसू तक न छिपाया गया
उसने तो मेरी कितनी ही गलतियों को छुपाया है

मिल जाएँ गम हिस्से के उसके भी काश मुझे
खातिर इसी दुआ की हाथ मैंने फैलाया है

अरे ऐसा भी नहीं के मुझे उससे प्यार नहीं
ये तो आंसू हैं जो यूँ ही निकल आया है

– दिलीप मेवाड़ा

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