न्यूज। घेंघा रोग अभी कुछ राज्यों में घेंघा रोग निंयत्रण करने के लिए कोशिश कर रहे है। ऐसे में नगालैंड में घेंघा रोग का प्रसार दर 1960 के दशक में 34.3 प्रतिशत था जो घटकर अब एक प्रतिशत रह गया है। यह बीमारी आयोडीन की कमी से होती है। यहां के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय, नगालैंड के राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम की राज्य योजना अधिकारी डॉ. अकुओ सोरी ने बताया कि यह समेकित जागरुकता प्रयासों से संभव हो पाया है।
उन्होंने बताया कि नगालैंड हिमालयी क्षेत्र में स्थित है आैर आयोडीन अल्पता विकार वाले गंभीर क्षेत्र में आता है।
डॉ. सोरी ने बताया कि आयोडीन की कमी हिमालयी क्षेत्रों में सभी पोषण संबंधी कमियों में सबसे उपेक्षित आैर सबसे गंभीर समस्या है।
उन्होंने बताया कि नगालैंड को 1960 के दशक की शुरुआत में भारत के राज्यों में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किये गये आधारभूत सर्वेक्षण के माध्यम से आयोडीन अल्पता विकार (आईडीडी) वाले क्षेत्रों में से एक घोषित किया गया था, जहां 34.3 प्रतिशत घेंघा प्रसार दर्ज किया गया था।
उन्होंने बताया कि हाल में कराये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक यह दर घटकर अब महज लगभग एक प्रतिशत तक रह गया है। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जतायी कि इसके सभी हितधारकों के संयुक्त प्रयासों के जरिये 2020 तक इसे एक प्रतिशत से कम कर दिया जाएगा।
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