लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासनिक अधिकारियों के चलते तैनात संविदा कर्मी मरीजों को फर्जी रसीदें थमाकर कर घोटाला कर रहे है। हाल ही में पकड़े गये मामले में एक मरीज ने शिकायत की कि उससे अधिक रुपये लिए गए ,लेकिन जब वापस करने की बात आयी तो कम रु पये दिये गये। बताया जाता है कि दोनों आरोपी में एक आरोपी पहले भी आक्सीजन प्लांट में घोटाला कर चुका था, वह आक्सीजन सिलेंडर को निजी अस्पतालों को बेच देता था। इसके बाद भी केजीएमयू के वरिष्ठ डाक्टर के कहने पर ही आरोपी कर्मी को लॉरी कार्डियोंलॉजी में भर्ती करके जिम्मेदारी दी गयी थी।
मामला उजागर होने के बाद प्रॉक्टर प्रो. आरएएस कुशवाहा ने पुलिस में आरोपी कर्मचारी नितीश कुमार मौर्य व पवन राजपूत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी। मीडिया प्रभारी डॉ. संतोष कुमार ने एफआईआर का हवाला देते हुए बताया कि कार्डियोलॉजी विभाग में तैनात मेसर्स ओमेक्स सिक्योरिटी के दो कर्मचारी नितीश कुमार मौर्य व पवन राजपूत मरीजों को दी जाने वाली रसीदों में गड़बड़ी कर रहे थे। यह कब से चल रहा था, इसकी तो जांच की जाएगी। दोनों कर्मियों की कारगुजारी का खुलासा होने के बाद इसकी जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को दी गयी। प्रभारी डॉ. संदीप भट्टाचार्य के अनुसार दोनों कर्मियों ने तीन अगस्त को कार्डियोलॉजी में इलाज कराने आए एक मरीज से जांच व इलाज के लिए रुपये जमा किए।
परिजन से अधिक रुपये तो लिए, लेकिन साफ्टवेयर में कम रुपये जमा कर उसे एक फर्जी रसीद थमा दी। मरीज को इस बात का पता भी नहीं चला कि कम््प्यूटर में कम पैसे जमा किए गए। इलाज के उपरान्त जब मरीज अपने पैसे वापस लेने पहुंचा तो उसे कम पैसे दिए गए। उसे बताया कि उसके पास जो रसीद है वह फर्जी है तथा उस पर इलाज की जो रकम दर्ज है वह अधिक है। इस गोरखधंधे का पता चलने पर इसका खुलासा हो गया कि नितीश व पवन ने यह गलत कार्य किया है। तत्काल इसकी सूचना फैकल्टी इंचार्ज डॉ. भट्टाचार्य को दी गयी। उन्होंने प्रॉक्टर प्रो. कुशवाहा को इसकी जानकारी तो प्रॉक्टर ने आरोपी कर्मियों को हटाने तथा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए।
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