ब्रेनडेथ बेटी का लिवरदान कर दूसरे को दी नयी जिंदगी

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लखनऊ। जब लोग दीपोत्सव मनाने की तैयारी कर रहे थे,तब 18 वर्षीय बेटी के पिता ब्रेनडेथ हो चुकी बेटी का अंगदान करा कर किसी की जिंदगी बचाने का निर्णय ले रहे थे। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के गैस्ट्रोसर्जरी विभाग सहित अन्य डाक्टरों की टीम ने पिता के निर्णंय व ब्रोन डेथ बेटी को सम्मान देते हुए दीपावाली की सुबह ही लिवर प्रत्यारोपण के लिए जुट गये। लगभग तेरह घंटे तक चले प्रत्यारोपण के बाद ही शाम को डाक्टरों की टीम घर गयी आैर दीपावली पर्व मनाया। केजीएमयू में अब तक 18 लिवर प्रत्यारोपण हो चुके है।

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अम्बेडकर नगर के महमदपुर निवासी एकता पांडेय को लगभग दो वर्ष पहले ब्लड की कमी होने लगी थी। परिजनों ने स्थानीय डाक्टरों के कहने पर एक यूनिट ब्लड चढ़ा दिया। पिता अजय कु मार पांडेय ने बताया कि पिछले हफ्तें शनिवार को बेटी की अचानक तबीयत बिगड़ी। स्थानीय डाक्टर ने बेटी की हालत को गंभीर बताते हुए लखनऊ ले भेज दिया। कई सरकारी अस्पताल में भटकने के बाद इलाज नहीं मिल पाने पर महानगर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां जांच में किडनी की गंभीर बीमारी बताने के साथ ही साथ ही ब्लड प्रेशर बढ़ने की दिक्कत बतायी गयी।

निजी अस्पताल में इलाज के बाद भी सुधार न होने पर किसी तरह आखिर में एकता को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताते हुए वेंटिलेटर पर भर्ती करते हुए हालत बेहद नाजुक बतायी। रविवार रात तबियत ज्यादा बिगड़ गई। इस दौरान ब्रोन डेथ कमेटी ने एकता की जरूरी जांच के बाद उसे ब्रोन डेथ घोषित कर दिया। प्रत्यारोपण समन्यवक पियूष श्रीवास्तव और क्षितिज वर्मा ने परिवारीजनों से भेंट करके अंगदान करने के लिए प्रेरित किया। काफी प्रयास के बाद उन्हें सफलता मिली।

डॉक्टरों ने सोमवार तड़के लिवर प्रत्यारोपण की तैयारी किया। प्रत्यारोपण के लिए लिवर सिरोसिस के 58 वर्षीय पुरुष का चयन किया गया। सोमवार सुबह करीब चार बजे से प्रत्यारोपण शुरू हुआ, तो शाम चार बजे तक चला। प्रत्यारोपण के बाद शाम पांच बजे के बाद डॉक्टर व कर्मचारियों ने घर जाकर बाद दीवाली मनाई। प्रत्यारोपण टीम ने बताया कि युवती को किडनी की बीमारी थी। इस लिए प्रत्यारोपण नही हो पाया। वही कॉर्निया जांच में फिट नहीं थे। लिहाजा इन अंगों को नहीं लिया जा सका।

गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. अभिजीत चन्द्रा ने बताया कि लिवर प्रत्यारोपण बेहद जटिल प्रक्रिया है। अंगदान की प्रक्रिया पूरी कराना परिवार के लिए उससे भी कठिन कार्य है। परिजनों ने धैर्य से अंगदान प्रक्रिया पूरी करायी। हम लोग ऐसे परिवार को नमन करते हैं। उन्होंने बताया कि लिवर प्रत्यारोपण होने के बाद राहत मिली। उन्होंने बताया कि अब तक 18 लिवर प्रत्यारोपण हो चुके हैं। बीते दिनों लाइव लिवर प्रत्यारोपण हुआ। केजीएमयू में अब तक 30 अंगदान हो चुके हैं। कोविड महामारी में भी लिवर प्रत्यारोपण अभियान नहीं थमा।

गैस्ट्रो सर्जरी विभाग प्रमुख डॉ. अभिजीत चंद्रा, डॉ. विवेक गुप्ता, डॉ. आशीष, डॉ. सुभाष गुप्ता, डॉ. राजेश डे के नेतृत्व में निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने भी सहयोग किया। एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. राजेश रमन, डॉ. रति प्रभा, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग से डॉ. अविनाश अग्रवाल, ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. तूलिका चन्द्रा समेत रेजिडेंट डॉक्टर, 50 से अधिक ओटी, आईसीयू, वार्ड नर्स और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के कर्मचारी शामिल हुए। न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. बीके ओझा ने भी सहयोग किया।

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