लखनऊ। आरसीटी यानी रूट कैनाल ट्रीटमेंट के बाद विशेष तकनीक से भरा गया, 24 कैंरट सोना दांतों को सुरक्षा देता है। उसमें संक्रमण की आशंका और फीलिंग के निकलने का खतरा 90 से 95 प्रतिशत तक नहीं रहता है। देश में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय एक मात्र चिकित्सा संस्थान है, जो कि दांतों में 24 कैरेट सोने की फीलिंग करता आ रहा है। यह बात केजीएमयू कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री विभाग के प्रमुख व डीन डॉ. एपी टिक्कू ने सोमवार को केजीएमयू में कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम को संबोधित करते हुए कही। कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम में कई राज्यों के कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री के पीजी छात्र ने हिस्सा लिया।
डॉ. टिक्कू ने कहा कि लापरवाही बरतने के कारण दांतों की बीमारी लोगों में तेजी से बढ़ रही है। दांतों में कीड़ा, मसूढ़ों में सड़न व अन्य संक्रमण से दांतों के गलने आदि बीमारियों हो रही है। इलाज में आरसीटी के बाद फिलिंग की जाती है। इसमें चांदी की फिलिंग होती है। यह लगभग दस से 15 वर्ष तक चलती है, जबकि प्लास्टिक फिलिंग अधिक से अधिक चार से पांच चलती है। उन्होंने बताया कि सोने की फिलिंग उम्र भर चलती है। उन्होंने बताया कि 24 कैरेट गोल्ड की वरक का प्रयोग होता है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है। उनके यहां मात्र 3500 सौ रुपये में यह फिलिंग की जा रही है।
डॉ. रमेश भारती ने बताया कि पुणे, जोधपुर, जयपुर, हरियाणा, फरीदाबाद, देहरादून, मेरठ समेत अन्य शहरों के 29 पीजी छात्रों ने कार्यक्रम में भाग लिया है। मंगलवार को इन्हें मरीजों में गोल्ड फिलिंग करने का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। ताकि अन्य चिकित्सा संस्थानों में स्थायी फिलिंग की सुविधा शुरू हो सके।