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न्यूज । राजस्थान के श्रीगंगानगर में राजकीय चिकित्सालय में चिकित्सकों में इलिजारोव पद्धति से एक मरीज का इलाज सफलतापूर्वक करने की उपलब्धि हासिल की है।
प्रमुख चिकित्सा अधिकारी पीएमओ डॉ. के एस कमरा ने आज बताया कि चिकित्सालय के ऑपरेशन थिएटर में अनूपगढ़ निवासी एक मरीज का इलिजारोव पद्धति से इलाज किया गया है। इस व्यक्ति की विगत दिसंबर माह में बायें पैर की हड्डी टूट गई थी और पैर पर घाव भी खुला हो गया था।
पीबीएम हॉस्पिटल बीकानेर में चिकित्सकों ने खुला घाव होने की वजह से उसके एक्सटर्नल फिक्सेटर लगाया। लगभग छह महीने बीत जाने के बाद भी घाव सुख नहीं रहा था और उसमें मवाद पड़ गई थी। इस मरीज ने जिला चिकित्सालय की ओपीडी में डॉ सुमित पेंसिया से करीब 15 दिन पहले संपर्क किया और अपनी पीड़ा बताई।
डॉ.पेंसिया ने इलिजारोव पद्धति से उसका इलाज करने का निर्णय लिया। चिकित्सालय के ऑपरेशन थिएटर में लगभग 4 घंटे तक ऑपरेशन चला।
डॉ. कामरा ने बताया कि रूस के विख्यात डॉ गैवरिल ए इलिजारोव के नाम से इस तकनीक का नाम पड़ा है। डा .इलिजारोव ने एक ऐसे उपकरण का इजाद किया था,जिसमें स्टील के बने कई छल्ले होते थे और जो कई तारों के जरिए हड्डियों को नया आकार दे पाते थे।
इस तकनीक का ही कमाल था कि उन्होंने टेडी हड्डियों को सीधा करने ,छोटी हड्डियों को लंबा करने और बौनेपन को खत्म करने में महारत हासिल की। यह तकनीक इलिजारोव तकनीक के नाम से जानी जाती है। अगर कोई व्यक्ति हड्डी में संक्रमण की वजह से चलने फिरने में लाचार हो चुका है तो उस परिस्थिति में यह तकनीक उपयोगी है।
उन्होंने बताया कि इस तकनीक से पीड़ित व्यक्ति को चलने लायक बनाया जा सकता है। टूटी हुई हड्डियों को किसी अन्य तकनीक से नहीं जोड़ा जा सका हो तो उस स्थिति में भी यह विधि कारगर साबित होती है। इस तकनीक में महज कुछ तारों एवं रिंग को टूटी हड्डियों में लगाने के बाद न सिर्फ मरीज अगले दिन चलने लगता है बल्कि उसकी टूटी हड्डी भी कुछ दिनों में जुड़ जाती है।