लखनऊ। उच्च रक्तचाप, हृदय रोग व डायबिटीज़ से जूझ रहे लोगों के लिये सुबह भोजन करना काफी लाभकारी है। सुबह भोजन करने से एकाग्रता और याददाश्त तो बढ़ती ही है साथ ही उनके कमर का आकार भी संतुलन में रहता है। सुबह उठने के दो घंटों के भीतर खाना खा लेना चाहिए और आपकी सेहत इस बात पर भी बहुत निर्भर करती है कि आप नाश्ते में क्या खाते हैं। दिन का पहला भोजन महत्वपूर्ण पुष्टिकरों जैसे कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, फाइबर व विटामिन बी से भरपूर होना चाहिए।
लखनऊ के न्यूट्रीवैल इंडिया में न्यूट्रीशन ऐक्सपर्ट डाॅ. सुरभि जैन का कहना है कि घी और मक्खन भारतीय नाश्ते के लोकप्रिय घटक हैं, ये दोनों ही सैचुरेटिड फैट से भरपूर होते हैं। पूरी, परांठे, व्हाइट ब्रैड, दाल आदि में इनके भरपूर इस्तेमाल से शरीर में वसा जमा होने लगती है जिससे शरीर में खराब काॅलेस्ट्रोल में इजाफा होता है जो की खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है।
स्वास्थ्य को कायम रखने के लिए मीठे पर भी लगाम लगाना जरूरी है –
तले हुए, वसा युक्त व मीठे पदार्थों का इम्यून सिस्टम पर भी नकारात्मक असर होता है, जिससे कि विभिन्न रोगों का शिकार बनने की संभावना बढ़ जाती है जिनमें सामान्य सर्दी जुकाम से लेकर कैंसर तक शामिल हैं। स्वास्थ्य को कायम रखने के लिए मीठे पर भी लगाम लगाना जरूरी है, इसलिए मीठी चीजों की बजाय वे चीजें खाएं जिनमें फाइबर ज्यादा और चीनी कम हो।
आहार में निरंतर परिवर्तन जरूरी है –
सुबह के भोजन के बारे में डाॅ. सुरभि कहती हैं ऐसे खाद्य पदार्थ चुनें जिनमें साबुत अनाज, फाइबर, प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट हों तथा ऐडेड शूगर व सैचुरेटिड फैट्स कम हों। आहार में निरंतर परिवर्तन जरूरी है, हर रोज एक जैसा खाना न खाएं। हर रोज अपने भोजन में अलग-अलग चीजें शामिल करें, थोड़ा-थोड़ा सब कुछ खाएं। कुछ स्वास्थ्यवर्धक ब्रेकफास्ट विकल्पों में दलिया, ओटमील, फलों की सलाद, साबुत गेहूं की रोटी ब्रैड, म्यूसली, मल्टी-ग्रेन डोसा, पोहा, उपमा, ब्रोकन व्हीट उपमा, ओट्स उपमा, दक्षिण भारतीय स्नैक्स, साम्बर दाल, सोया, अंकुरित दाल, सब्जियों का सैंडविच, लो फैट या जीरो फैट दूध व दही, छांछ, पनीर, ताजा फलों का रस, साबुत अनाज और फल जैसे केला, तरबूज व सेब शामिल है।
अच्छा ब्रेकफास्ट बच्चों व किशोरों के लिए और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है –
जो बच्चे सुबह सेहत भरा आहार लेते हैं उनमें ज्यादा ऊर्जा रहती है और वे शारीरिक गतिविधियों में भाग लेते हैं जिससे उन्हें मोटापा रोकने व जीवनशैली जनित रोगों से बचे रहने में मदद मिलती है। ऐसे स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करते हैं और छुट्टियां भी कम लेते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे बच्चों में परेशान होने, चिड़चिड़ाने, थकान व गुस्सा जैसे लक्षण भी कम देखे जाते हैं। इसलिए हर किसी को ब्रेकफास्ट को पूरी गंभीरता से लेना चाहिए चाहे वह बच्चा हो या व्यस्क।