लखनऊ । कोरोना योद्धा का तमगा देकर अपने कर्मचारियों से रात दिन काम लेने वाला स्वास्थ्य विभाग उनकी समस्याओं के प्रति पूरी तरह उदासीन है। आरोप है कि कोविड ड्यूटी के दौरान किसी कर्मचारी के संक्रमित होने पर जिम्मेदार अधिकारी तुरंत मुंह मोड लेते हैं। लिहाजा पीडित कर्मचारी को आम आदमी की तरह सारी व्यवस्था अपने खर्चे पर स्वयं करनी पडती है।कोरोना काल में बिना एक दिन के अवकाश के विभाग के लिए रात दिन पसीना बहाने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के विभिन्न कार्यक्रमों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों का तो और भी बुरा हाल है।
संवेदनहीनता का आलम यह है कि लगभग पांच माह से कोविड ड्यूटी मे लगे इन कर्मचारियों को न तो प्रोत्साहन के रूप में कोई मानदेय मिला है और न ही समय से वेतन,जबकि मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा अनेकों बार इस आशय का पत्र प्रदेश के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भेजा जा चुका है कि संविदा पर कार्यरत समस्त कर्मचारियों को उनका वेतन हर माह की पांच तारीख तक अवश्य दे दिया जाये।फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
वर्तमान मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय द्वारा भी दिनांक 7 अगस्त को समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को प्रेषित पत्र में भी निर्देशित किया गया है कि कोरोना रोकथाम में लगे समस्त संविदा कर्मचारियों ससमय वेतन,प्रोत्साहन राशि(मानदेय) एवं बीमा सुविधा का लाभ प्रदान किया जाय। कोविड ड्यूटी में लगे इन कर्मचारियों का कहना है कि विभागीय उपेक्षा के कारण उनका मनोबल अब टूटने लगा है,जिसका असर कोविड की रोकथाम पर पडना स्वाभाविक है।