लखनऊ। किं ग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की बड़ी पैथोलॉजी में सैम्पलों की जांच करते समय प्रयोग किये जा रहे फॉर्मेलीन से दस जूनियर रेजीडेंट की हालत बिगड़ गयी। इससे वहां पर हड़कम्प मच गया। पैथालॉजी के वरिष्ठ डाक्टर मौके पर पहुंच गये। आनन फानन में जूनियर डाक्टरों का तत्काल इलाज शुरू कराया गया। सैम्पल जांच रहे जूनियर डॉक्टरों ने फार्मेलीन के रिएक्शन की आशंका जाहिर किया था। प्रयोग की जा रही फार्मेलीन का प्रयोग बंद करके जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गयी।
हालांकि अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है। केजीएमयू प्रशासन का कहना है एक जूनियर डॉक्टर को थोड़ी परेशानी हुई थी। इलाज बाद वह ठीक है। शेष अन्य जूनियर डॉक्टरों को पहले दिन से राहत मिल चुकी है।
घटना कुछ दिन पहले की है,बताया जाता है कि केजीएमयू प्रशासन ने इस घटना का खुलासा न हो। इसके सख्त निर्देश दे रखे थे। केजीएमयू बड़ी पैथोलॉजी में हिस्ट्रोपैथोलॉजी से जुड़ी जांच के अलावा अन्य ब्लड टेस्ट किये जाते है। पैथोलॉजी में जांच के दौरान टिशू को फिक्स में रखने के लिए फार्मेलीन का प्रयोग किया जाता है। यहां पर लगभग प्रतिदिन 30 से अधिक सैम्पल जांच के लिए पहुंचते हैं। पैथालॉजी में टिशू (ऊतक) को सुरक्षित रखने के लिए नए बैच के फार्मेलीन की आपूर्ति की गयी थी।
पैथोलॉजी विभाग के दस जूनियर डॉक्टर सैम्पल टेस्ट में फार्मेलीन का प्रयोग कर रहे थे। उसी वक्त उन सभी तेजी से तबियत बिगड़ने लगी। किसी जूनियर डाक्टर को आंख से धुंधला दिखने लगा, तो कोई का चेहरा झुलसा सा महसूस करने लगा। वही कई को पेट में दर्द के साथ उल्टी सी लगने लगी। एक-एक करके लगभग दस जूनियर रेजीडेंट को यह दिक्कत होने लगी। घटना की जानकारी पैथालॉजी के बड़े डाक्टरों के साथ उच्च अधिकारियों को हुई। मौके पर वरिष्ठ डाक्टर पहुंचे आैर सबसे सभी जूनियर रेजीडेंट को नेत्र रोग विभाग में इलाज के लिए भेजा गया। क्योंकि फार्मेलीन से आंख प्रभावित होने की ज्यादा संभावना थी। जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों ने तत्काल उस बैच के फार्मेलीन के प्रयोग पर रोक लगाते हुए मामले की जांच के निर्देश दिए।
आनन-फानन में प्रति कुलपति डॉ. अभिजीत कौर के नेतृत्व में जांच कमेटी गठित कर दी गयी। हालांकि कई दिन बीतने बाद भी जांच कमेटी की रिपोर्ट नहीं आई है। केजीएमयू के प्रवक्ता डा. सुधीर का कहना है कि फॉर्मेलीन के प्रयोग से एक जूनियर रेजीडेंट की आंख में परेशानी हुई थी। उसे धुधंला दिखने लगा था। बाकी रेजीडेंट के प्राथमिक इलाज बाद उनकी हालत में सुधार हो गया था।