लखनऊ। हार्ट ही नहीं पैर की रक्त वाहिकाओं में भी ब्लाकेज हो सकता है। इन ब्लाकेज का समय पर इलाज न हो तो पैर काटने की नौबत आ सकती है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्याल में चल रही सर्जिकल क्लीनिकल अपडेट कार्यक्रम में आज यह जानकारी अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के डा. गुलशन सिंह ने दी।
डा. सिंह ने कहा कि टांगों में गहरी रंग में उभरी हुई नसें तथा दर्द के साथ सूजन को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। यह वेरिकोज नामक की बीमारी हो सकती है। उन्होंने बताया कि आबादी में लगभग तीस से चालीस प्रतिशत लोग इस बीमारी के चपेट में होते है। डा. सिंह ने कहा कि इस बीमारी को लोग अक्सर नजरअंदाज कर देता है आैर अन्य विभिन्न प्रकार के इलाज कराया करतेहै। इस बीमारी का अगर शुरू में इसका विशेषज्ञ डाक्टर से इलाज कराया जाए तो दवाओं से भी नियंत्रण पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पैर के नीचे की ओर नर्व को पंचर कर इलाज किया जाता है। इसके अलावा चीरा लगाकर ब्लाकेज नर्व को निकाल दिया जाता है।
इसके अलावा लेजर या फ्रेक्वसी से बिना चीरा के भी इलाज कि या जाता है। कार्यक्रम में विभाग प्रमुख डा. अभिनव अरूण सोनकर ने कहा कि उनके विभाग में भी वेरिकोज वेन का इलाज सफलता पूर्वक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि डायबटीज के मरीज को वेरिकोज वेन की बीमारी होने की सम्भावना ज्यादा होती है। कार्यक्रम में डा. संदीप तिवारी आदि मौजूद थे।