होली के लिए बाजार में तरह-तरह के रासायनिक रंगों की बिक्री हो रही है। चिकित्सकों का कहना है कि रासायनिक रंगों से शरीर पर दाने पड़ सकते हैं और एलर्जी हो सकती है। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. आशुतोष दुबे ने बताया कि जब त्वचा पर कोई पदार्थ प्रतिक्रि या करता है तो उसे एलर्जन कहा जाता है। एलर्जी कभी भी किसी को हो सकती है। यह अलग-अलग लोगों को भिन्न -भिन्न कारणों से हो सकता है।
कुछ लोगों को धुआं, गर्दा और फूलों के पराग कणों से तो कुछ लोगों को दवाओं के सेवन से हो सकता है। उन्होंने कहा कि केमिकल से बने रंगों में सल्फेट, एल्मूनियम सहित कुछ खास किस्म के रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। जो त्वचा के संपर्क में आने पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। सांस के मरीजों को ये रासायनिक रंग काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए होली खेलते समय सावधानी बरतना न भूलें। डाक्टर की सलाह से एलर्जी रोधक दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है।
एलर्जी और उसके प्रकार –
एलर्जिक कन्जक्टिवाइटिस: यह समस्या धूल, धुएं, कॉन्टैक्ट लेंस व सौंदर्य प्रसाधन से संबंधित वस्तुओं के इस्तेमाल से उत्पन्न हो सकती है। इसमें आमतौर पर आंखों में लाली, जलन व खुजली महसूस होती है।
त्वचा की एलर्जी: त्वचा की एलर्जी सबसे आम समस्याओं में से एक है। इसमें एग्जिमा व अरटीकेरिया नामक रोग प्रमुख हैं। एग्जिमा आमतौर
पर बचपन में होता है किन्तु वयस्क अवस्था तक जारी रह सकता है। त्वचा पर लाल चकत्ते उभर आते हैं। एलर्जी का यह पकार अक्सर अज्ञात कारणों से उत्पन्न होता है।
फूड एलर्जी: किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी की शिकायत होना फूड एलर्जी का सूचक है। एलर्जी से संबंधित शिकायतों का निदान व उसका उपचार आवश्यक है।