होम्योपैथ में है बच्चों की बीमारियों का आसान इलाज

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Photo Source: philahomeopathy

लखनऊ। अब बच्चे मैदान में खेलने की बजाय कम्प्यूटर व मोबाइल पर गेम खेलते हैं। साइकिल चलाने की बजाय एअरकंडीशनर गाड़ी में बैठकर स्कूल जाते हैं। इस आरामतलबी दिनचर्या का नतीजा है कि उनकी प्रतिरोधक क्षमता घट रही है। बच्चा बिल्कुल मस्त होकर खेले-कूदे, भागदौड़ करे, मौसमी फल व सब्जियां खाये तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। इन तमाम बिन्दुओं पर रविवार को आयोजित होम्यो पीडियाकॉन में होम्योपैथी विधा के डाक्टरों ने मंथन किया और यह भी कहा कि होम्योपैथ की दवा कई बीमारियों का इलाज आसानी से किया जा सकता है। मुख्य अतिथि सूचना आयुक्त सुभाष चन्द्र से कहा कि बच्चे को थोड़ा सा भी खांसी-जुकाम हो गया तो उसे एंटी एलर्जिक, एंटी बायटिक दवायें दे दी जाती हैं। फौरी तौर पर तो उसे फायदा हो जाता है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट नुकसानदायक हैं। इससे पूर्व राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर हो योपैथी के जनक डॉ सैमुअल हैनीमैन के चित्र पर माल्यार्पण करके किया।

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होम्योपैथिक साइंस सोसाइटी के तत्वावधान में हुए इस कार्यक्रम में देश भर से विशेषज्ञों ने बच्चों की बीमारी में होम्योपैथी उपचार को लेकर विभिन्न प्रकार के रोगों पर चर्चा की। होम्योपैथ विशेषज्ञ डॉ अनुरुद्ध वर्मा ने कहा कि बच्चों में अनेक प्रकार की ऐसी समस्यायें हैं जो उनके लिए जानलेवा सिद्ध होती हैं, अकेले डायरिया से ही हर साल 10 लाख मौतें हो जाती हैं। दूसरी बड़ी समस्या कुपोषण है। उन्होंने कहा कि बच्चों को होने वाली समस्याओं का कारण आजकल होने वाला लालन-पालन का तरीका है। बच्चों को छुई-मुई बना दिया गया है। माता-पिता अपने बच्चों को मिट्टी में खेलने नहीं देते हैं, जबकि यह देखा गया है मिट्टी में खेलने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि पहले तनाव व अवसाद जैसी बीमारियां बड़ों में पायी जाती थीं, अब हाल यह है कि ये बीमारियां बच्चों में भी होने लगी है। मोबाइल ने बच्चों से उनका बचपन छीन लिया है। बच्चों में हिंसा, गुस्सा व झूठ बोलने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। उन्होंने बच्चों की काफी बीमारियां ऐसी जिनका इलाज होम्योपैथी में सफलता पूर्वक किया जाता है।

विशिष्ट अतिथि डॉ जेडी दरियानी ने कहा कि वर्तमान परिवेश में होम्योपैथिक दवाओं से होने वाले फायदे को वैज्ञानिक तरीके से समझाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जैसे लम्बे समय से हम लोग कैल्करिया फॉस का उपयोग करते आ रहे हैं, यह दवा इतनी प्रसिद्ध हो गयी है कि ज्यादातर घरों में मिल जाती है, यही नहीं दूसरी पैथी के लोगों को भी इसे दांत निकलने में सहायक दवा के रूप में जानकारी है, लेकिन अब जरूरत इस बात का बताने की है कि कैल्करिया फॉस किस तरह काम करती है। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए कैल्करिया फॉस कैल्शियम की पूर्ति करती है। बच्चे के एनिमिक होने, मिट्टी खाने की आदत होने, जल्दी-जल्दी सर्दी, रेस्पेरेटरी प्रॉब्लम होने जैसी दिक्कतों के उपचार में कैल्करिया फॉस की बड़ी भूमिका है। प्रो बीएन सिंह ने कहा कि होम्योपैथी में बच्चों का बहुत अच्छा इलाज मौजूद है, इस इलाज का लाभ सभी बच्चों तक पहुंचे इसके लिए इसका प्रचार-प्रसार और इसके प्रति लोगों का विश्वास जगाना बहुत जरूरी है।

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