आयुष मंत्रालय ने सिकिल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन चला रहा
लखनऊ। शरीर में ब्लड की कमी बनी हो आैर दवा आैर सप्लीमेंट लेने के बाद भी हीमोग्लोबिन न बढ़ रहा हो, तो डाक्टर से परामर्श से एनीमिया कौन सा है। इसकी जांच करानी चाहिए।
यह सिकिल सेल एनीमिया हो सकता है। आमतौर पर यह आनुवंशिक रोग है,लेकिन बीमार होने के बाद हीमोग्लोबिन का स्तर नीचे आ जाता है आैर मरीज को जल्दी ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
जब कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के तहत सिकिल सेल एनीमिया का होम्योपैथी से सफल इलाज हो रहा है। इसके साथ ही राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत बीमारी को पहचानने के साथ ही होम्योपैथी विधा के माध्यम से इलाज के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
क्लीनिकल नजरिये से देखा जाए तो किसी भी पैथी में सिकल सेल एनीमिया को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल है, लेकिन होम्योपैथी चिकित्सा के माध्यम से इसका इलाज किसी हद तक सम्भव है।
यह जानकारी केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के साइंटिफिक एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य व वरिष्ठ होम्योपैथी डा. ए के द्विवेदी ने पत्रकार वार्ता में दी।
उन्होंने बताया कि कमजोरी, थकान,दम फूलना, पेट व अन्य भागों में शरीर में दर्द होना तथा दैनिक कार्य न कर पाने पर ब्लड की जांच करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि सिकिल सेल एनीमिया होने पर बार- बार ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता होती है। डा. द्विवेदी ने बताया कि होम्योपैथी विधि से इलाज करने पर यह बीमारी धीरे- धीरे नियंत्रण में आ जाती है। अगर मरीज को ब्लड को हफ्ते में दो दिन चढ़ाया जाता है, तो महीने में एक बार ही ब्लड चढ़ाने की आश्वयकता होती है। उन्होंने कहा कि इस आनुंवशिक बीमारी पर नियंत्रण के लिए शादी से पहले ब्लड की जांच करा लेनी चाहिए। इसके अलावा आयुष मंत्रालय ने सिकिल सेल एनीमिया को समझने के लिए वेबसाइट की लांच की है, जो काफी मददगार है।