न्यूज। केन्द्र सरकार ने कहा है कि हाटॅ स्पाट के जितने भी क्षेत्र है,ं उनमें संदिग्धों का पता लगाने के लिए सरकार अपनी रणनीति में चेंज कर रही है और सिर्फ उन्हीं लोगों के परीक्षण किए जा सकते हैं जिनमें फ्लू जैसे लक्षण दिखेंगे।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेड़कर ने रविवार को यहां एक सवाल के जवाब कहा कि हॉट स्पाट के जितने भी क्षेत्र हैं। उनमें फ्लू जैसे लक्षणों और ‘सीवियर एक्यूट रेस्पीरेट्री इलनेस”(सारी) के मरीजों को इस तरह के टेस्ट की पेशकश की जाएगी और इसका मकसद कोरोना के मरीजों का पता लगाना है।
इसके अलावा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के चाडोक्सवन वैक्सीन के कोरोना वायरस संक्रमण में कारगर होने संबंधी दावों के बारे में श्री गंगाखेड़कर ने बताया कि कोरोना वायरस वैक्सीन को विकसित करने के लिए विश्व में 70 अलग समूह शोध कर रहे हैं और ऑक्सफोर्ड में भी ऐसे पांच समूह हैं जो इस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। इस वैक्सीन का जानवरों पर ट्रायल पूरा हो चुका है और इसके साइड इफैक्टस भी अधिक नहीं है और उनकी योजना मानवों पर परीक्षण की है। इस काम को इसी माह में शुरू किया जा रहा है और इसके लिए वालंटियर्स की भर्ती भी कर ली गई है तथा इसके नतीजे छह माह से भी कम अवधि में आने की उम्मीद है।
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