हृदय के वाॅल्व को ठीक करने में सर्जिकल घावों को कम करता है टीएवीआई

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लखनऊ। गंभीर एआॅर्टिक स्टेनाॅसिस से पीड़ितों के हृदय के वाॅल्व को ठीक करने में छाती पर चीरा लगाने या हार्ट लंग मशीन का प्रयोग करने की जरूरत नहीं रह गयी है, जी हाॅ दिनों दिन ईलाज में हो रही तरक्की के साथ ट्रांसकैथेटर एआॅर्टिक वाॅल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) या ट्रांसकैथेटर एआॅर्टिक वाॅल्व इम्प्लीमेंटेशन (टीएवीआई) एक ऐसी प्रक्रिया भी सामने आयी है जो मरीज के क्षतिग्रस्त वाॅल्व को हटाये बिना ही वाॅल्व को ठीक करती है। इसके स्थान पर एक रिप्लेसमेंट वाॅल्व एआॅर्टिक वाॅल्व्स के स्थान पर लगाया जाता है, यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए है जिन्हें गंभीर एआॅर्टिक स्टेनाॅसिस से पीड़ित पाया गया है और सर्जिकल वाॅल्व रिप्लेसमेंट के लिए बेहद जोखिम भरा या बहुत कमजोर माना गया है।

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डाॅ. अजय कौल, चेयरमैन एंड एचओडी, कार्डियोथोरैकिक एंड वैस्कुलर सर्जरी, बीएलके हार्ट सेंटर, बीएलके सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पिटल का कहना है कि अब हमारे पास घावग्रस्त सर्जिकल वाॅल्व रिप्लेस के स्थान पर एक सरल प्रक्रिया है। त्वचा से प्रभावित करने वाला वाॅल्व प्रत्यारोपण – टीएवीआई (ट्रांसकैथेटर एआॅर्टिक वाॅल्व इम्प्लांटेशन) ने बिल्कुल थोड़ी सी जटिलता से वाॅल्व बदलने की प्रक्रिया को सरल कर दिया है, क्योंकि यह लोकल एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है और इसमें छाती पर चीरा लगाने या हार्ट लंग मशीन का प्रयोग करने की जरूरत नहीं है। इस आॅपरेशन में बहुत अच्छी सफलता दर के साथ बेहतरीन परिणाम मिले हैं। नेशनल सेंटर फाॅर बायोटेक्नोलाॅजी इंफाॅर्मेशन (एनसीबीआई) के अनुसार, एआॅर्टिक स्टेनाॅसिस (एएस) दुनिया में सबसे सामान्य वाॅल्वुलर हृदय रोग है।

यह बुजुर्गों को होने वाली बीमारी है और चूंकि विकसित व विकासशील दोनों ही देशों में हमारी आबादी बूढ़ी हो रही है, इसलिए एएस के मामलों में बढ़ोत्तरी हो गई है। यह हमारी बुजुर्ग आबादी की मृत्यु दर और रोगों की संख्या को भी प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से स्वास्थ्यसेवा प्रणाली पर भी काफी बोझ पड़ रहा है। डाॅ. कौल ने बताया कि एआॅर्टिक वाॅल्व स्टेनाॅसिस दिल के एआॅर्टिक वाॅल्व के सिकुड़ने के कारण होता है। एआॅर्टिक वाॅल्व के जरिए ही खून दिल से शरीर में जाता है। स्टेनाॅसिस वाॅल्व को पूरी दक्षता के साथ खुलने से रोकता है, जिस वजह से दिल को खून पंप करने के लिए सामान्य स्थिति से ज्यादा मेहनत के साथ काम करना पड़ता। इसकी वजह से बांई गुहा में दबाव बनता जाता है, जो दिल की मांसपेशियों मोटा कर देता है और हार्ट फेल हो जाता है।

एआॅर्टिक स्टेनाॅसिस और उसकी वजह से होने वाले भयंकर रोगों के बढ़ते मामलों और मरीजों की सामयिक आबादी की वजह से सर्जिकल घावों को कम करने के लिए न्यूनतम घाव वाली एआॅर्टिक वाॅल्व सर्जरी व त्वचीय ट्रांसकैथेटर एआॅर्टिक वाॅल्व इम्प्लांटेशन (टीएवीआई) तकनीक का विकास किया गया है। हाल ही के तकनीकी विकासों ने एक वैकल्पिक न्यूनतम घाव देने वाला विकल्प प्रस्तुत किया है, जो टांका लगाने व बांधने की प्रक्रिया को हटा देता है, जिस वजह से इसे ‘‘टांकारहित’’ या तुरंत लगाने वाली एआॅर्टिक वाॅल्व्स कहा जाता है। टांकारहित एआॅर्टिक जोड़ों के संभावित फायदों में क्राॅस-लैम्प और कार्डियोपल्मनरी बाइपास (सीपीबी) अवधि को कम करना, न्यूनतम घाव वाली सर्जरी व जटिल कार्डिएक व्यवधान देना है, वह भी संतोषजनक हीमोडायनेमिक परिणाम व निम्न पैरा वाॅल्वुलर लीक दर को मैंटेन करते हुए।

टीवीआर को लेकर डा0 कौल ने बताया कि टीएवीआर की प्रक्रिया को ऊसंधि में एक बहुत छोटी सा चीरा या बस एक सुई लगाकर की जा सकती है। टीएवीआर करवाने वाले मरीज को बहुत कम समय औसतन तीन से पांच दिनों के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है। टीएवीआर प्रक्रिया को निम्न प्रस्तावों में से किसी एक का प्रयाग करके किया जाता है, जिसमें कार्डियोलाॅजिस्ट या सर्जन यह चुनते हैं कि वाॅल्व तक पहुंचने के लिए कौन सा मार्ग सबसे अच्छा व सुरक्षित है। उरु-धमनी (ऊसंधि में एक बड़ी धमनी) से प्रवेश करना, ट्रांसफेमोरल प्रस्ताव कहलाता है, जिसमें छाती पर सर्जिकल चीरा लगाने की जरूरत नहीं होतीं। उन्होंने बताया कि टीएवीआर से पहले की तैयारी में हृदय रोग विषेषज्ञ द्वारा मरीज की चिकित्सकीय जांच शामिल होती है। एक मानक के रूप में निम्न जांचें भी की जानी चाहिए, आॅर्टिक स्टेनाॅसिस की गंभीरता, एआॅर्टिक वाॅल्व की संरचना और कड़ेपन के विस्तार को सुनिश्चित करने के लिए इकोकार्डियोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। जबकि वाॅल्व की स्थितियों का उत्तम इमेज ओरिएंटेशन को निर्धारित करने के लिए एआॅर्टिक रूट की सीटी एंजिओग्राफी का प्रयोग किया जाता है।

वहीं सहवर्ती कोरोनरी धमनी के रोग या पल्मनरी हाइपरटेंशन का मूल्यांकन करने के लिए बांया व दांया कार्डिएक कैथिटेराइजेशन, जिन्हें टीएवीआर से पहले ठीक करने की जरूरत हो सकती है। नस के व्यास व कैल्सिफिकेषन का मूल्यांकन करने, और एक्सेस साइट के लिए योजना बनाने हेतु थाॅरैकोएब्डाॅमिनल व इलिओफेमोरैल धमनियों की सीटी एंजिओग्राफी होती है। टीवीआर के संभावित लाभ के बारे में जानकारी देते हुये डा0 कौल ने बताया कि इससे ठीक होने में कम समय लगता है, न्यूनतम घाव, ओपन हार्ट सर्जरी से बहुत कम दर्द, एनेस्थीसिया की थोड़ी मात्रा की जरूरत होती है, कम समय के लिए अस्पताल में भर्ती होना, ज्यादा जोखिम वाले मरीजों के लिए जीवनरक्षक विकल्प और सफलता की दर ज्यादा रहती है।

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