लखनऊ। बच्चों में आनलाइन गेंमिंग व मोबाइल की बढ़ती की आदतों मानसिक समस्याओं के अलावा अक्सर मस्तिष्क में भी परिवर्तन होने लगते है। अक्सर मिर्गी के दौरे होने की आशंका ज्यादा हो जाती है। ऐसे में पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डाक्टर से परामर्श की आवश्यकता होती है। इसके तहत एकेडमी आफ पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट की प्रदेश शाखा का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। निजी होटल में आयोजित समारोह में चिकित्सा संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया।
बाल रोग विशेषज्ञों ने एक मत से कहा कि बच्चों को मोबाइलज से दूर रखना चाहिए, ताकि उन्हें मिर्गी जैसे रोगों से दूर रखा जा सके । मोबाइल व आनलाइन गेमिंग के अत्यधिक उपयोग से मस्तिष्क की आंतरिक कोशिकाओं पर असर पड़ता है ऐसे में मिर्गी के दौरे पड़ने का अंदेशा बढ़ जाती है।
इसमें डा. अनूप कुमार ने मोबाइल से मिर्गी के मानसिक विकारों पर चर्चा की। एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स उत्तर प्रदेश और लखनऊ एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स संस्था की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश, अलीगढ़, मुंबई, नागपुर समेत कई शहरों से विशेषज्ञों ने भाग लिया।
एकेडमी आफ पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट की प्रदेश शाखा की अध्यक्ष केजीएमयू की पूर्व बाल रोग विशेषज्ञ डा. रश्मि कुमार का चयन किया गया। डा. वसंत खलेत्कर ने बताया कि बच्चों में मिर्गी के लक्षणों की समय पर पहचान आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में बच्चों में मिर्गी की समस्या सामने आ रही है। यदि इनका समय पर इलाज न किया जाए तो मस्तिष्क संबंधी कई परेशानियां जन्म ले सकती हैं। इससे बच्चों का मानसिक विकास भी प्रभावित होता है। मुंबई के हिंदुजा अस्पताल के पीडियाट्रिक न्यूरोलाजिस्ट डा. बृजेश उडानी ने बताया कि अगर समय रहते मिर्गी रोग का उपचार किया जाए तो उसे समुचित रूप से इलाज संभव है। यदि इसमें देरी की जाए तो बच्चे की जान पर बन सकती है। केजीएमयू की डा. रश्मि कुमार ने बताया कि मिर्गी के रोगी कोई छूत के रोगी नहीं होते। उनके साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार बनाए रखना चाहिए ताकि उनका इलाज बेहतर रूप से किया जा सक ता है।