लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद के पदाधिकारियों ने आज अध्यक्ष प्रदीप गंगवार के नेतृत्व में कर्मचारियों पर की जा रही कार्रवाई के संबंध में कुलसचिव और कुलपति से वार्ता की। कर्मचारियों ने एकमत से कहा है कि जो कर्मचारी गलती कर रहे हैं उन पर कार्यवाही की जाए लेकिन ऐसे काफी संख्या में कर्मचारी हैं जिनके खिलाफ ना हुई कोई शिकायत है और ना ही कोई अनुशासनहीनता की है ऐसे में कोविड-19 महामारी के दौरान जानबूझकर कार्यवाही करना उनका मनोबल गिरा ना होगा। प्रदीप गंगवार ने बताया चिकित्सा विश्वविद्यालय के 68 कर्मचारियों के ऊपर विभागीय कार्रवाई की जा रही है जिसमें 34 जनसंपर्क अधिकारी और एम एस एस ओ को कारण बताओ नोटिस और अन्य 23 कर्मचारियों को स्पष्टीकरण करते हुए कुछ कर्मचारियों का वेतन बाधित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि 34 जनसंपर्क अधिकारियों एम एस एस ओ के खिलाफ ना ही कोई शक है और ना ही कोई लिखित में शिकायत ही पत्र प्राप्त हुआ है मात्र कल्पना के आधार पर इन कर्मचारियों पर आरोप लगाया गया है आरोप है कि यह लोग जनप्रतिनिधियों का फोन रिसीव नहीं करते हैं जबकि हकीकत यह है कि 34 जनसंपर्क अधिकारी और एम एस एस ओ में से मात्र 13 जनसंपर्क अधिकारी एवं एक एम एस एस ओ को ही चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा सीयूजी मोबाइल उपलब्ध कराया गया है। शेष को कोई सीयूजी फोन उपलब्ध नहीं है, इसके अलावा धन उगाही का भी आरोप लगा है। चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कमेटी का गठन करके इतिश्री कर ली जाती है । इस संबंध में अभी तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई है । सभी पर झूठे आरोपों को बिना जांच किए ही उन्हें आरोपित किया जा रहा है । इसके अलावा 23 कर्मचारियों को कोविड-19 में ड्यूटी ना करने पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कुछ का वेतन रोक दिया गया है। उनका कहना है कि इन कर्मचारियों में कुछ ऐसे कर्मचारी हैं ,जिन्हें शासन और कार्यपरिषद के नियमों के तहत कोविड-19 से छूट दी गई है । इसके बाद भी तथ्यों की अनदेखी करते हुए स्पष्टीकरण जारी कर कर दिया गया है। प्रदीप गंगवार अध्यक्ष और महामंत्री राजन यादव ने केजीएमयू प्रशासन से पूछा है कि प्रशासन द्वारा झूठे आरोपों के आधार पर कर्मचारियों पर कार्यवाही तो की जा रही है, परंतु अभी तक कोविड-19 ड्यूटी करने वाले कितने कर्मचारियों को सम्मानित प्रशासन द्वारा किया गया है। कर्मचारी परिषद ने मांग की है। आरोपित कर्मचारियों के प्रकरण में पारदर्शिता के साथ आरोपों की सही जांच की जाए और दोष सिद्ध ना होने की दशा में कार्यवाही को शून्य किया जाए तथा भविष्य में ऐसी दोबारा गलती ना की जाए। अन्यथा कर्मचारी परिषद आंदोलन करने को मजबूर होगी। प्रदीप गंगवार ने बताया कुलपति ने आश्वासन दिया है जिन कर्मचारियों के प्रति कार्यवाही चल रही है इसमें पारदर्शिता बरतते हुए नियमानुसार कार्य किया जाएगा। उनकी ऐसी कोई मंशा नहीं है कि किसी कर्मचारियों का अहित किया जाए।