हिन्दी लिखना ही नही बोलना भी बेहतर है। राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने शोध में साबित कर दिया है कि अंग्रेजी की बनिस्बत हिन्दी बोलने से दिमाग ज्यादा चुस्त-दुरुस्त रहता है। लिहाजा हिन्दी बोलने वालों को बातचीत में हिन्दी का ही प्रयोग करना चाहिए , लेकिन जरूरत होने पर अंग्रेजी शब्दों का बोलने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।
शोध में बताया गया है कि मुताबिक अंग्रेजी बोलते वक़्त दिमाग का सिर्फ बायां हिस्सा ही सक्रिय रहता है, जबकि हिंदी बोलते समय मस्तिष्क के दाएं व बाएं दोनों हिस्से क्रियाशील रहते हैं। नतीजतन दिमाग की सेहत में सुधार आता है।
इंग्लिश एक लाइन में सीधी पढी जाने वाली भाषा है –
उन्होंने ‘एमआरआई’ जाँच की मदद से मस्तिष्क की सम्पूर्ण क्रिया का अध्ययन किया उन्होंने पाया कि अंग्रेजी बोलते वक्त अध्ययन में शामिल लोगों के मस्तिष्क का सिर्फ बायां हिस्सा सक्रिय था, जबकि हिन्दी बोलते वक्त दिमाग के बाएं व दाएं, दोनों हिस्से सक्रिय थे। इस बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि इंग्लिश एक लाइन में सीधी पढी जाने वाली भाषा है, जबकि हिंदी शब्दों पर मात्राएं उपर-नीचे व दाएं-बाएँ होती हैँ। इससे मस्तिष्क का दायां हिस्सा भी सक्रिय हो उठता है।