लखनऊ। जल्दी- जल्दी बुखार आने के साथ ही वजन में भी गिरावट आ रही है। इसके साथ ही सामान्य से ज्यादा पसीना छूट रहा है, तो इन लक्षणों को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। यह लिम्फोमा कैंसर के लक्षण भी हो सकते हैं। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हीमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एसपी वर्मा ने शुक्रवार को डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में अंडरस्टैंडिंग लिम्फोमा डायग्नोसिस-लाइव माइक्रोस्कोपी सेशन को संबोधित करते हुए कही।
डॉ. एसपी वर्मा ने कहा कि गर्दन, बगल, छाती व पेट में गांठ महसूस तो तत्काल डॉक्टर से जांच करा कर परामर्श ले। उन्होंने कहा कि डॉक्टर की सलाह पर तत्काल गांठ की जांच कराना चाहिए। जांच में गांठ किस प्रकार की है। इसका बायोप्सी जांच से पता लगाया जा सकता है। इम्यूनो हिस्ट्रो कैमेस्ट्री से लिम्फोमा के प्रकार का पता लगाया जा सकता है। इससे इलाज की सही तरीके से किया जा सकता है।
डॉ. वर्मा ने कहा कि शरीर में पनपने वाली 70 से 75 प्रतिशत गांठ सामान्य निकलती हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर 25 से 30 प्रतिशत गांठ ही कैंसर की होती हैं, लेकिन शरीर में बन रही सभी गांठ की जांच अवश्य होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमेटोलॉजी विभाग की ओपीडी में प्रत्येक महीने लगभग दो सौ नए मरीज आ रहे हैं।
लिम्फोमा कैंसर से पीड़ितों का समय से इलाज होना चाहिए। कीमोथेरेपी सहित दूसरी दवाओं से लिम्फोमा कैंसर को हराया जा सकता है। 70 से 80 प्रतिशत कैंसर मरीज दवाओं से पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। वह सामान्य जीवन बिता सकते हैं। लोहिया संस्थान की पूर्व निदेशक व पैथोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. नुजहत हुसैन ने कहा कि आधुनिक जांच से कैंसर की सटीक पहचान संभव हो गई है। इलाज की दिशा तय करने में भी मदद मिल रही है। कार्यक्रम में डीन डॉ. प्रद्मुन सिंह समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहें।
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