लखनऊ। 50 साल पहले आमतौर पर लोग 8 से 10 घंटे की नींद आराम से ले लेते थे। परंतु अब यह घटकर के औसतन 6:30 घंटे की रह गई है। हमेशा से यह माना जाता था कि शरीर की जैविक घड़ी काम के अनुसार खुद को लेती है, लेकिन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के स्लीप एक्सपर्ट का मानना है कि शोध में ऐसा कुछ खास नहीं पाया गया है।
जो लोग रात में लंबे समय तक काम करते हैं उनको टाइप टू डायबिटीज, कार्डियक बीमारी के अलावा कैंसर का भी खतरा हो सकता है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि सुबह 4:00 बजे पहुंचने वालों का दिमाग उतना ही सुस्त हो जाता है इतना की बियर पीने के बाद शांत हो जाता है। शोध बताते हैं कि आधी रात को चॉकलेट खाने से शुगर और फैट दिन के मुकाबले कहीं देर तक खून में दौड़ता रहता है। खून में शुगर की मात्रा अधिक हो जाने से टाइप 2 डायबिटीज होता है और फैट का लेबल बढ़ने से कार्डियक रोग होने की संभावना हो जाती है। इसलिए देखा गया है कि नाइट शिफ्ट करने वाले लोगों में कार्डियक का खतरा डेढ़ गुना ज्यादा हो जाता है। रात में काम करने वालों में मोटापे का भी यही कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2007 में कहा था कि रात में लगातार काम करते रहने से कैंसर का खतरा हो सकता है।