केजीएमयू क्लब-फुट प्रोग्राम एक दिवसीय द्वितीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न
०अज्ञानता क्लब फुट से पीड़ित बच्चों में स्थायी अक्षमता का कारण बन सकती है : प्रो. अजय सिंह
लखनऊ। केजीएमयू क्लब-फुट प्रोग्राम एक दिवसीय द्वितीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को शताब्दी अस्पताल,फेस-II किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया। क्लब फुट एक जन्मजात जन्म दोष है जो लगभग एक हजार में एक नवजात शिशुओं को प्रभावित करता है। भारत में हर साल लगभग 35,000 बच्चे क्लब फुट के साथ पैदा होते हैं। समय पर और उचित उपचार न मिलने पर बच्चा आजीवन अपंगता का शिकार हो जाता है। हालांकि, अगर सुधार की ‘पोंसेटी विधिÓ से समय रहते इलाज किया जाए, तो पैर पूरी तरह से ठीक हो जाता है। अधिकांश बच्चे बिना किसी कठिनाई के सभी दैनिक गतिविधियों को करने में सक्षम होते हैं। क्लब फुट सुधार की पोंसेटी विधि में, आर्थोपेडिस्ट द्वारा क्रमिक सुधारात्मक प्लास्टर कास्ट लगाया जाता है। आर्थोपेडिक डॉक्टरों को इस तकनीक को सीखने और अपनाने के लिए उचित अनुभव और प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
बाल चिकित्सा हड्डी रोग विभाग, केजीएमयू क्लबफुट देखभाल में अग्रणी संस्थान है। संस्थान के क्लबफुट उपचार कार्यक्रम में अब तक 2000 से अधिक बच्चों को नि:शुल्क उपचार के लिए नामांकित किया जा चुका है तथा 8000 से अधिक प्लास्टर नि:शुल्क लगाए जा चुके हैं और सभी बच्चे को नि:शुल्क ब्रेसेस/जूते प्रदान किए गए हैं । यह कार्यक्रम क्योर इंटरनेशनल इंडिया ट्रस्ट (CIIT) द्वारा समर्थित है। समाज में क्लबफुट देखभाल प्रदान करने के लिए विभाग द्वारा कई आर्थोपेडिक विशेषज्ञों और सहायक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है। बाल चिकित्सा हड्डी रोग विभाग, केजीएमयू समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने और क्लबफुट के बारे में जागरूकता और देखभाल फैलाने के लिए पहल कर रहा है। इस संबंध में केजीएमयू के पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स विभाग ने कौशल का आयोजन किया। एन्हांसमेंट रिफें्रशर कोर्स 26 मार्च 2023 को ऑडिटोरियम शताब्दी अस्पताल में केजीएमयू में आयोजित हुआ जिसके प्रमुख थे केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. विपिन पुरी व समारोह में सम्मानित अतिथि प्रो. विनीत शर्मा, केजीएमयू, प्रोफेसर अजय सिंह, कार्यकारी निदेशक एम्स भोपाल, डॉ. संतोष सिंह सचिव यूपीओए, डॉ. मैथ्यू वर्गीज निदेशक, सीआईआईटी, डॉ. अलारिक अरूजिस, अध्यक्ष पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीओएसआई), डॉ. मैथ्यू वर्गीज, निदेशक, सीआईआईटी ने बताया कि क्लबफुट के उपचार में रिलैप्स एक प्रमुख चिंता का विषय है और इस समस्या से कैसे निपटा जाए। उन्होंने एनजीओ के साथ मिलकर क्लबफुट कार्यक्रम चलाने के अपने अनुभव को भी साझा किया।
डॉ. अलारिक अरूजिस ने बड़े बच्चों में क्लबफुट के उपचार और उन्हें दोबारा होने से रोकने के बारे में बताया। डॉ. विकास वर्मा, एचओडी, बाल चिकित्सा हड्डी रोग विभाग, केजीएमयू ने स्वागत भाषण दिया और राज्य के विभिन्न हिस्सों में क्लबफुट क्लीनिक की स्थापना की आवश्यकता बताई। सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. सैयद फैसल अफाक ने पोंसेटी तकनीक की मूल अवधारणा और इसके आवेदन की विधि के बारे में बताया। आयोजन सह सचिव डॉ. सुरेश चंद ने एच्लीस की टेनोटॉमी तकनीक पर बात की कण्डरा जो लगभग 90 प्रतिशत क्लबफुट रोगियों में आवश्यक है। लेक्चर में दिए गए टिप्स ट्रेनी डॉक्टर्स और सपोर्ट स्टाफ को क्लबफुट केयर को जमीनी स्तर तक ले जाने में मदद करेंगे। प्रो. अजय सिंह ने इस बात पर चर्चा की कि अज्ञानता क्लबफुट से पीड़ित बच्चों में स्थायी अक्षमता का कारण बन सकती है। डॉ. संतोष सिंह, सचिव यूपीओए ने क्लबफुट की शिक्षा, प्रशिक्षण और उपचार के लिए इस तरह की साझेदारी और सहयोग के निर्माण में आर्थोपेडिक सोसायटी की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. विनीत शर्मा, प्रो. वीसी केजीएमयू ने समाज में क्लबफुट और अन्य बाल चिकित्सा आर्थोपेडिक समस्याओं के बारे में जन जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया। लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिनपुरी माननीय कुलपति ने बाल चिकित्सा हड्डी रोग विभाग, केजीएमयू द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स विभाग ने में कार्यरत डॉ. पुरुषोत्तम गांधी, डॉ. नितिन, डॉ. दुर्गा,डॉ. अतीफ, डॉ. शिवचन्द, डॉ. जुहैब, डॉ. वैभव सिंह व कर्मचारियों में संदीप सिंह, मनोज कुमार, तैय्यबा फिजा, अंशुल वर्मा, दीपक वर्मा, राहुल कन्नौजिया, पूजा यादव, काजल रावत, सुजाता अवस्थी, प्रदीप वर्मा, आमेश्वर प्रताप गौड, बृजेश मौर्या, कमलेश पाल, आजाद कुमार, पंकज वर्मा, आदि ने कार्यक्रम में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया।