लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में हादसे में घायल मरीज कैजुल्टी में करीब 12 घंटे तक दर्द से तड़पते हुए इलाज की मदद मांगता रहा। परिजनों का आरोप है डॉक्टरों ने मरीज के सिर पर लगी चोट में टांके तक नहीं लगाये। इस कारण ब्लीडिंग नहीं रुकी। बारह घंटे बाद बिस्तर न खाली होना बताकर मरीज को बलरामपुर अस्पताल रेफर कर दिया। बलरामपुर अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई। बताते है कि परिजनों ने बुधवार को सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर मुख्यमंत्री से न्याय दिलाने की मांग की है।
बंथरा ज्ञानपुर निवासी नीरज (26) सोते वक्त छत से गिरकर बुरीतरह से जख्मी हो गया था। बिगड़ती हालत को देखते हुए परिजन रविवार रात 11 बजे मरीज को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर ले गए थे। परिजनों का कहना है कि यहां पर कोई सीनियर डाक्टर मौजद नहीं था। वहां पर जूनियर डॉक्टरों ने पहले मरीज की जांच कराने के लिए कहा गया। सिर व अन्य जांच कराने में करीब चार घंटे निकल गये। इसके बाद परिजन मरीज की टूटती सांसों को एंबुबैग से कृत्रिम सांस दे रहे थे। एंबुबैग भी खरीदकर लाना पड़ा था। पूरी रात मरीज कैजुल्टी व विभागों में बिस्तर खाली होने की जानकारी के लिए चक्कर लगाता रहा। डॉक्टरों ने बिस्तर खाली न होने का हवाला देकर कैजुल्टी वापस भेज दिया।
भाई शिवशंकर का आरोप है कि ट्रॉमा सेंटर कै जुल्टी में डॉक्टरों ने मरीज के सिर पर ड्रेसिंग तो कर दी थी, लेकिन टांके तक नहीं लगाने से पूरी रात खून रिसता रहा। सोमवार सुबह मरीज को बिस्तर खाली न होना बता कर बलरामपुर अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां की इमरजेंसी में उसे भर्ती किया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। भाई का आरोप है कि ट्रॉमा सेंटर के लापरवाह डॉक्टरों ने मरीज के सिर में टांके तक नहीं लगाये। अति गंभीर हालत में मरीज को वापस कर दिया। इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई। भाई का कहना है कि मामले की शिकायत सीएम पोर्टल पर दर्ज कराई है।
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