डा.अर्चना के दोषियों को सजा दिलाने सड़क पर उतरे IMAडाक्टर्स

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लखनऊ। राजस्थान के दौसा जिले में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ अर्चना शर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज होने से परेशान होकर आत्महत्या कर लिए जाने से पूरे देश का डॉक्टर संवर्ग आक्रोशित है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तहत सैकड़ों डाक्टरों ने डॉ अर्चना व उनके परिवार को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन किया।

 

 

 

 

आक्रोशित डाक्टरों ने रिवर बैंक कॉलोनी स्थित आईएमए भवन से शहीद स्मारक तक पैदल मार्च निकाल कर प्रदर्शन करते हुए अपना विरोध जताया है। प्रदर्शन में डॉक्टर के हत्यारों को फांसी दो फांसी दो… इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए हाथों में नारे लिखे पट्टी भी लिए हुए थे।
राजस्थान के दौसा जिले में डॉ अर्चना शर्मा सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट थी, प्रतिभा संपन्न होने के नाते उन्हें गोल्ड मेडल भी मिला था, लेकिन उन्होंने शहर की सभी सुविधाए छोड़ते हुए अपने गांव में जाकर इलाज करना शुरू किया। जहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं थी,लेकिन इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई । उसके बाद स्थानीय नेताओं के दबाव में पुलिस डा.अर्चना के खिलाफ 302 का मुकदमा दर्ज कर लिया है,जिससे डा.अर्चना मानसिक रूप से परेशान होकर होकर खुदकुशी कर लिया।

 

 

 

राजधानी की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा रमा श्रीवास्तव ने प्रदर्शन के दौरान लोगों को संबोधित करते हुये कहा कि डा.अर्चना शर्मा को एक गंभीर महिला को इलाज देने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी, उन्होंने बताया कि डॉक्टर के खिलाफ 302 का मुकदमा दर्ज हो चुका है, जन प्रतिनिधि ही पुलिस पर दबाव बनाते हैं,उन्होंने कहा कि ऐसे तो सड़क पर गंभीर मरीज इलाज के लिए पड़ा होगा और कोई डॉक्टर इलाज के लिए तैयार नहीं होगा ।

 

आईएमए के प्रवक्ता डॉ वीरेंद्र यादव ने बताया कि राजस्थान के दौसा जिले में डा अर्चना एक 22 वर्षीय महिला का प्रसव करा रही थी,महिला को इतनी कम उम्र में चार बच्चे हुये थे,इसकी वजह महिला की स्थिति गंभीर थी,प्रसव के दौरान महिला पीपीएच का शिकार हो गयी,जो कि एक गंभीर स्थिति होती है,इसमें गर्भाशय से ब्लीडिंग होने लगता है,कई बार इसमें मरीज की मौत भी हो जाती है,इस मामले में डाक्टर की कोई गलती नहीं थी।
इस मामले में स्थानीय नेता व कुछ दबंगों ने धन उगाही के लिए डॉ अर्चना पर दबाव बनाया,लेकिन वह दबाव में नहीं आती हैं तो उनके खिलाफ पुलिस में 302 का मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है। डॉ पर इतना दबाव बनाया गया कि उन्होंने आत्महत्या कर ली,यह एक प्रकार का मर्डर है और इस घटना के बाद गंभीर मरीजों के इलाज में डाक्टर भय के कारण रुचि नहीं दिखाएगा,जिससे मरीज की जान पर बन आयेगी।

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