अच्छा बोलने के साथ-साथ अच्छा सुनना भी आवश्यक

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लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में मेडिकल एथिक्स विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का विषय स्वास्थ्य सेवाओं में संवाद: दक्षता और चुनौतियां था, इसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संस्थान व प्रदेश के 52 मेडिकल कॉलेजों ने हिस्सा लिया।
इस सत्र का मुख्य उद्देश्य यह समझना और समझाना था कि कैसे एक सटीक और संतुलित संवाद के माध्यम से हम प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में योगदान कर सकते हैं। संस्थान के प्रो. एस के मिश्रा ने वक्ताओं का स्वागत किया। संस्थान के कार्यकारी कुलानुशासक प्रो. अफजल अजीम ने कहा कि कुशल संवाद की दक्षता केवल पुस्तकें पढ़ने से नहीं आती, इसके लिए अनुभव की आवश्यकता होती है। गैस्ट्रोसर्जरी विभाग के प्रो. वी के कपूर ने “चिकित्सा में प्रभावी संवाद: प्रबंधन व निर्णय लेने में इसकी भूमिका” विषय पर बोलते हुए कहा की प्रभावी संवाद की शैली में रोगी से केवल वार्तालाप ही नहीं, अपितु उसे धैर्य पूर्वक सुनना, वार्तालाप के समय हावभाव व सुव्यवस्थित वेशभूषा भी शामिल है। कार्डियोलॉजी विभाग के प्रो. आदित्य कपूर ने चिकित्सक के दृष्टिकोण से परस्पर संवाद में आने वाली चुनौतियों का जिक्र किया और कहा कि अच्छा बोलने के साथ-साथ अच्छा सुनना भी आवश्यक है। नेफ्रोलॉजी विभाग में डा. सबरीनाथ ने कहा कि प्रभावी संवाद एक कला है और इसे हमेशा सीखा जा सकता है। इसे महत्वपूर्ण और कुशल बनाने के लिए इस में आने वाली बाधाओं को दूर करना बहुत आवश्यक है।
रेडियोथेरेपी विभाग की प्रमुख प्रो. पुनीता लाल और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉ मोहन गुर्जर ने गंभीर अवस्था में बीमार और कैंसर के रोग से ग्रस्त रोगियों की भावनाएं समझनेऔर प्रेमपूर्ण संवाद पर बल दिया। इस कार्यक्रम में लगभग 230 प्रतिभागियों ने प्रतिभागिता की

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