बच्चों में तीन नहीं नयी तकनीक से एक सर्जरी में बन जाएगा मलद्वार

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पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग

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लखनऊ। कुछ बच्चों में जन्म से मलद्वार नहीं बना होता है। ऐसे बच्चों की सर्जरी कर मलद्वार बनाने की आवश्यकता पड़ती है। अभी तक मलद्वार बनाने के लिए बच्चे की तीन बार सर्जरी की जरूरत पड़ती थी। विशे प्रकार की नयी तकनीक से एक ही सर्जरी से ही मलद्वार बन जाएगा। बच्चे को तीन सर्जरी का दर्द से नहीं गुजरना होगा। यह जानकारी बनारस के डॉ. एएन गंगोपाध्याय ने शनिवार को केजीएमयू पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही।

डॉ. गंगोपाध्याय ने बताया कि तीन बार की सर्जरी में अभिभावकों को काफी धनराशि खर्च करना पड़ता था। उन्होंने बताया कि अब एक सर्जरी से ही काफी बच्चों में मलद्वार बनाया जा सकता है। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. जेडी रावत ने कहाकि केजीएमयू में बच्चों की ज्यादातर बीमारियों के सर्जरी हो रही हैं।


खासबात यह है कि लेप्रोस्कोपी तकनीक से सर्जरी हो रही हैं। इससे बच्चों को अस्पताल में कम दिन भर्ती रहना पड़ता है। घाव जल्द भरने के साथ ही संक्रमण का खतरा भी कम रहता है। उन्होनें बताया कि मलद्वार का न होना एक जन्मजात स्थिति है। केजीएमयू पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के पास ऐसे मरीजों के इलाज का बहुत व्यापक अनुभव है।

इस मौके पर यूनाइटेड किंगडम के डॉ. आशीष मिनोचा ने वाखलू-टंडन व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. एसएन कुरील, डॉ. अर्चिका गुप्ता, डॉ. आनंद पांडेय, डॉ. रसिक शाह, डॉ. विकेश अग्रवाल मौजूद रहे।

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