लखनऊ। डायबिटिक रैटिनोपैथी के मरीजों को लगने वाले इंजेक्शन की सुई दर्द का अहसास नहीं होगा। दरअसल किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के नेत्र विभाग ऐसी तकनीक का लम्बे रिसर्च के बाद खोज लिया है, इसमें इलाज के दौरा आंखों में लगने वाला इंजेक्शन से दर्द नहीं होता है। यह नयी तकनीक डॉ. शशि तंवर ने थीसिस गाइड प्रो. संजीव कुमार गुप्ता के दिशा-निर्देशन में खोज निकाली है। इसे इंटरनेशनल जनरल में भी प्रकाशित किया गया है।
डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि डायबिटिक रैटिनोपैथी इलाज में आंख में डालने की दवा, लेजर, आंखों का इंजेक्शन और सर्जरी का प्रयोग होता है। इंजेक्शन के प्रयोग में एक तरह से एंटी वीईजीएफ एंटीबॉडी होती है, जिसे इंजेक्शन के माध्यम से आंख के अंदर डाला जाता है। अंदर गयी दवा इस बीमारी को समाप्त करती है। यह एंटीबाडी लैब में बनती है, जिसे इंजेक्शन के माध्यम से आंख में डालते है। रिसर्च के बाद इसे लगाने के तरीके में परिवर्तन किया गया है, क्योंकि पहले इंजेक्शन लगाकर दवा डालने के कारण आंखों में प्रेशर बढ़ जाता है। इजेक्शन लगने के बाद मरीज को तीस से 45 मिनट तक तेज दर्द होता है। वही इंजेक्शन लगाने के स्थान पर वहां चुभन होती है। इसलिए रिसर्च में कोशिश की गयी कि आंखों में इंजेक्शन लगे और मरीज को परेशानी न हो। इस नयी तकनीक को इजात किया है। रिसर्च में अंाख में इजेक्शन लगाने की दिशा को बदला है। नयी तकनीक में आंख के बिलकुल सीधा लगाते है। प्रयोग में पाया कि अगर इजेक्शन को सीधा लगायेंगे तो दर्द नहीं होगा और खास बात यह है कि जो दवा डालेंगे, तो वह बाहर नहीं निकलती है।
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डॉ. संजीव बताते है कि इस रिसर्च में ओबलिक का डायरेक्ट इंजेक्शन लगाने से कंपेयर किया है, पहले इसमें 155 लोगों को प्रयोग में शामिल किया गया था, लेकिन आखिरी में 100 मरीज को 50-50 के दो ग्रुप में रखा गया और करीब छह हफ्ते तक लगातार रिसर्च किया गया। एक ग्रुप में ओबलिक और दूसरे ग्रुप में डायरेक्ट इंजेक्शन लगाया गया और प्रेशर और दवा को पर्दा पर को छह हफ्ते पर नापा गया। फिर इनको तुलना किया गया कि थेरौपैटिक फायदा दोनों ग्रुप में देखने को मिला। जो फ्ल्यूड लीक हुआ, वह खराब नहीं, उसको होने दीजिए उसका कोई नुकसान नहीं है, क्योंकि डायरेक्ट इंजेक्शन लगाने से कोई दर्द नहीं हुआ। इसी प्रकार एक आैर बात देखी गयी कि अगर आंख का कैंसर में कीमो दी जाती है। उसमें अगर इस डायरेक्ट इंजेक्शन देे। तो मरीज को फायदा होगा और दर्द नहीं होगा। संस्थान में इस तकनीक से गरीबों का निशुल्क में इलाज में किया जा रहा है।