लखनऊ। कोरोना वारियर्स कहे जाने वाले फार्मासिस्ट एक तरफ तो लगातार संक्रमण काल में ड्यूटी करते हुए अपना फर्ज निभा रहे हैं दूसरी तरफ कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आए उनके परिजनों को ही भर्ती होने में नियमों का हवाला दिया जा रहा है। ऐसे में फार्मासिस्ट संवर्ग में आक्रोश व्याप्त है उनका कहना है कि जब हम हमारे परिवार को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है तो आम व्यक्ति का इंटीग्रेटेड हॉस्पिटल में कैसे भर्ती होकर इलाज हो रहा होगा। हुआ यूं कि प्रयागराज के भदोही के स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात फार्मासिस्ट की पत्नी कोविड-19 संक्रमित हो गई। वहां के डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताते हुए एंबुलेंस से ऑक्सीजन के सहारे पीजीआई रेफर कर दिया। पीजीआई पहुंचने पर परिजनों का आरोप है कि पहले तो बिस्तर ना होने का बहाना बताया गया, उसके बाद काफी कहने पर पेपरों की कमी बताई गई। दौड़ा भागी करके पेपर पूरा किया ही जा रहा था कि अस्पताल के बाहर एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर से सांस ले रही महिला मरीज रूपाली की सांस उखड़ने लगी। देखा गया तो ऑक्सीजन सिलेंडर की ऑक्सीजन समाप्त हो चुकी थी, प्रशासन से भर्ती करने का अनुरोध किया गया, लेकिन बिना पेपरों के भर्ती करने से मना कर दिया। और पूरे हो गए तो मरीज की जांच के बाद आईसीयू में बिस्तर खाली ना होने का बहाना बता दिया गया इस दौरान मनीष की तेजी से बिगड़ती हालत को देखते हुए इन्होंने तत्काल मरीज को एक निजी कोविड-19 में भर्ती करा दिया। परिजनों का कहना है कि स्वास्थ विभाग अधिकारियों से लेकर पीजीआई के अस्पताल प्रशासन तक लगातार अनुरोध किया गया लेकिन कहीं नहीं उनकी एक सुनी गई। अगर भर्ती नहीं कर रहे थे तो प्राथमिक उपचार दिया जा सकता था ताकि दूसरे अस्पताल में व्यवस्था की जा सके। फार्मेसिस्ट जिसको प्रदेश सरकार कोरोनावायरस कहती है तब उनके परिवार के लोगों को इलाज मिलने में असुविधा हो रही है तो आम व्यक्ति को नियमों का कितना हवाला दिया जाता होगा पीजीआई के कोविड-19 राजधानी हॉस्पिटल में। इस बारे में फार्मासिस्ट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील यादव का कहना है कोरोना वारियर्स जैसे कि फार्मासिस्ट हेल्थ वर्कर डॉक्टर आदि के परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 के हॉस्पिटल में भर्ती किया जाना चाहिए। क्योंकि संबंधित के लगातार कोविड-19 जीपीटी में रहने से वह लोग लगातार संक्रमण के खतरे में रहते हैं। इसके अलावा किसी भी हॉस्पिटल से रेफर होकर आए कोरो ना कि मरीज को तत्काल भर्ती करके इलाज किया जाना चाहिए ना कि उसको कागजी कार्रवाई के लिए इधर उधर दौड़ाना चाहिए