इस तरह बदलने जा रहे ब्लड टेस्ट के मानक, Kgmu की भूमिका महत्वपूर्ण

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लखनऊ। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक का प्रयोग मरीजों की केस हिस्ट्री व रिसर्च करने में किया जा सकता है। यह बात पद्भूषण डा. बी के राव चेयरमैन क्रिटकल केयर एवं इमरजेंसी मेडिसिन विभाग , सर गंगाराम हास्पिटल ने शुक्रवार को केजीएमयू के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग (सीसीएम) की ओर से प्रिसिजेन मेडिसिन एंड इंटेंशिव केयर कान्फ्रेंस 2024 ने कही।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में आयोजित काफ्रेंस में डा. राव ने कहा कि ज्यादातर जटिल बीमारियों का आंकड़ा कम है। अब इसकी शुरूआत हो चुकी है। इसमें नयी तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का समावेश करके क्लीनिकल क्षेत्र में बेहतर कार्य किया जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

केजीएमयू के क्रिटकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. अवनीश अग्रवाल ने कहा कि अब भारतीय मरीजों के अनुसार से ब्लड टेस्ट का मानक निर्धारित किया जाएगा। अभी तक पश्चिमी देश के मानकों पर भारतीय मरीजों की टेस्ट हो रहे है। इसके लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने देश के 16 सेंटर चुने हैं। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय को नोडल सेंटर बनाया गया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि पैथोलॉजी विभाग से मिलकर प्रोजेक्ट पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय व पश्चिमी देशों का रहन-सहन, खान पान और भौगोलिक स्थितियां बिलकुल अलग हैं। व्यक्ति की लंबाई, वजन आदि में भी काफी फर्क है। ऐसी दशा में खून की जांच का मानक वैल्यू (रेफरेंस रेंज) एक जैसा नहीं होना चाहिए। रिपोर्ट के आधार पर मरीज की दवा, डोज आदि तय की जाती है। उन्होंने कहा कि किसी भी जांच की रेफरेंस वैल्यू तय करने के लिए एक बड़ी आबादी की जांच जरूरी है। आबादी की 10 फीसदी स्वस्थ लोगों की जांच के आधार पर कोई मानक तय किया जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

लोहिया संस्थान में एनस्थीसिया विभाग प्रमुख डॉ. पीके दास ने बताया कि आईसीयू व वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज को गाइडलाइन के हिसाब से दवा देने से बचना चाहिए। बल्कि मरीज की स्वास्थ्य व अन्य पैरामीटर को देखकर इलाज करना बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मरीज पर बीमारी अलग तरह से हमला करती है। काफ्रेंस में डॉ. अरिन्दम कर आदि वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।

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