ट्रॉमा, बचाव, उपचार एव प्रबंधन किताब का लोकार्पण

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लखनऊ। मेरा सपना ट्रॉमा-मृत्यु-मुक्त-भारत हो अपना सही समय पर उपचार न मिलने से प्रत्येक वर्ष देशमें लगभग 06 लाख लोगों की मौत ट्रॉमा से होती है। ऐसी मौतों की रोकथाम हो सकती है तथा पीड़ित व्यक्ति को उचित समय में उपचार उपलब्ध कराकर उसकी जान बचाई जा सकती है। इसी गोल्डन ऑवर की अहमियत की जानकारी देने के लिए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर , पैरामेडिकल साइंसेस डीन डॉ. विनोद जैन ने ट्रॉमा, बचाव, उपचार एव ंप्रबंधन किताब लिखी है। इसका लोकापर्ण आज केजीएमयू के ब्रााउन हॉल में कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिनपुरी, प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डॉ सदानंद गुप्त, निदेशक श्रीकांत मिश्रा एवं सम्पादक डॉ अमिता दुबे द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस पुस्तक का प्रकाशन उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी भाषा अत्याधिक महत्वपूर्ण है। आमजन तक चिकित्सीय सुविधाओं को पहुंचाने हेतु हिन्दी को प्रमुखता से प्रयोग में लाना होगा। उन्होंने कहा कि प्री-हास्पिटल केयर ट्रॉमा रोगियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है तथा इसी से यह तय होता है कि पीड़ित की जान बचाई जा सकती है या नहीं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर आमजन को सिर्फ दो बातों के प्रति जागरूक किया जा सके ता ेकाफी मौतों को रोका जा सकता है। रक्तस्राव को रोकना और सांस आने में तकलीफ होने से किस प्रकार से पीड़ित की मदद की जा सकती है। यह बात की जानकारी अगर आमजन को होता होने वाली मौतों के आकड़ों को काफी कम किया जा सकता है।
कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक डॉ विनोद जैन ने बताया कि ज्यादातर हिन्दी भाषी राज्यों में व्यक्ति अपनी बीमारी के बारे में हिन्दी में बताता है, लेकिन चिकित्सक उनके सवालों के जवाब या दवाईयों के बारे में अंग्रेजी में बताते है, जिससे पीड़त व्यक्ति समझ न पाने के कारण सही से उन दवाईयों अथवा चिकित्सकों के दिशा-निर्देशों का सही से पालन नहीं कर पाता है और उनका मर्ज और बढ़ जाता है या उनकों इससे नुकसान हो सकता है। इसी उद्देश्य से उन्होंने यह किताब हिन्दी में लिखी है, ताकि आमजन को इसका पूरा लाभ मिल सके।
कार्यक्रम का समापन ट्रॉमा सर्जरी के प्रो. समीर मिश्रा ने एक शोध का हवाला देते हुए जानकारी दी कि हाल ही उनके द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि सड़क पर होन ेवाली ज्यादातर दुर्घटना का प्रमुख कारण मोबाइल का उपयोग है। उन्होंने ड्राइविंग के समय मोबाइल का उपयोग न करने का अनुरोध किया।

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