वैज्ञानिकों के अनुसार भारत, पाकिस्तान और नाइजीरिया जैसे देशों में ज़ीका वायरस के संक्रमण का सबसे अधिक ख़तरा है. हालांकि वो ये मानते हैं कि कुछ जगहों पर रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही मौजूद होगी जिससे वायरस का ख़तरा कम हो जाएगा. ज़ीका पर शोध कर रहे लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के वैज्ञानिकों के दल का मानना है कि ”एक बड़ी जनसंख्या इस तरह के वातावरण में रहती है कि वायरस की रोकथाम, उसका पता लगा पाना और उसका इलाज कर पाना बड़ा मुश्किल काम होगा.”
वैज्ञानिकों ने यह आंकड़ा हवाई यात्रा करने वालों के आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है. शोधकर्ताओं का मानना है कि ”फिलीपींस, वियतनाम, पाकिस्तान और बांग्लादेश ज़ीका वायरस के लिए अतिसंवेदनशील देश हैं उनकी स्वास्थ्य सेवाएं भी सीमित है.” सेंट माइकल हॉस्पिटल, टोरंटो के डॉ कामरान खान ने लिखा है कि ”ज़ीका का प्रभाव इस बात पर भी निर्भर करेगा कि उस देश में बीमारी की जांच कितनी जल्दी कर पाते हैं.”
ईलाज करने में काफी मदद करेगी –
वह आगे कहते हैं ”हमारे द्वारा किया गया शोध आम लोगों के लिए महत्वपूर्ण होगा, हमारी रिपोर्ट से ज़ीका के मामले में स्थानीय स्तर, राष्ट्रीय स्तर पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समय की नाजुकता को पहचानने और ईलाज करने में काफी मदद करेगी.” अभी फिलहाल 65 से अधिक देशों और प्रदेशों में ज़ीका का ख़तरा है.
गर्मी के महीनों में ज़ीका वायरस के फैलने का ख़तरा ज्यादा है
ज़ीका के विशेषज्ञों का कहना है ”ज़ीका वायरस के फैलने का ख़तरा अक्सर गर्मी के महीनों में होता है. जब लोग अमेरिका से देश के दूसरे हिस्सों में घूमते हैं.” लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में मैथेमेटिक मॉडलिंग में फेलो और ज़ीका पर शोध कर रहे डॉ ऑलिवर ब्रैडी बताते हैं कि ”भारत, इंडोनेशिया और नाइजीरिया जैसे देश को ज़ीका के ख़तरे के मुहाने पर हैं, क्योंकि इस देश से 5000 यात्री हर महीने ज़ीका प्रभावित इलाके से आते और जाते हैं.” मच्छरों के काटने से फैलने वीली यह बीमीरी हाल ही में अफ्रीका को अपने गिरफ़्त में ले रही है.