लखनऊ। मरीज को आहार नली की समस्या से निदान दिलाने के लिए अब सर्जरी की आवश्यकता नही होगी। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी व गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने मिलकर प्रयोग में तीन मरीजों की एंडोस्कोपिक तकनीक सफलता पूर्वक इलाज कर लिया है। इन्होंने इंडोस्कोपिक तकनीक से आहार नली खोल कर समस्या को ठीक करने में कामयाबी हासिल की है। बताते चले कि अभी तक इस तकनीक से इलाज पीजीआई में ही किया जाता है।
केजीएमयू के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग की ओर से गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. सुमित रूंगटा, सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अभिजीत चन्द्रा ने दिल्ली के डॉ. विकास सिंगला ने साथ मिलकर तीन मरीजों की इंडोस्कोपिक तकनीक से सर्जरी की। विशेषज्ञ डाक्टरों ने बताया कि मरीज गायत्री, विवेक और हरिनाम की आहर नली ब्लाक थी। क्लीनकल साइंस में इस बीमारी को एक्लेजिया कार्डिया कहते हैं। मरीजों ने कई जगह इलाज कराया, लेकिन बीमारी दूर नहीं हुई। जब यह मरीज गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग की ओपीडी में पहुंचे, तो डॉक्टरों ने जांच के बाद इंडोस्कोपिक तकनीक से इलाज का फैसला किया।
डॉ. सुमित रूंगटा का कहना है कि यह तीनों मरीजों की आहार नली इंडोस्कोप तकनीक से ओपन कर दी गयी। सर्जरी केबाद अब यह तीनों मरीज सामान्य लोगों की तरह खा व पानी पी सकेंगे। उन्होंने बताया कि इलाज की इस तकनीक को प्री ओरल एंडोस्कोपिक मायोटमी कहते हैं। उन्होंने बताया कि इलाज की यह तकनीक बेहद आसान है।
सर्जरी करने वाले डॉ. सुमित बताते है कि एंडोस्कोप तकनीक में मरीज के मुंह के रास्ते इंडोस्कोप अंदर ले जाते हैं। इइके बाद आहार नली में माइनर कट लगाते हैं। इसमें म्यूकोसा के नीचे सब म्यूकोसा में रास्ता बना लेते हैं। इसके बाद इसोफेगस के ऊपरी हिस्से से लेकर जंक्शन के नीचे तक बढ़ी मांसपेशियां काट देते हैं। इसके प्रक्रिया के बाद मरीज के खाने की नली खुल गई। इस सर्जरी में सिर्फ 45 मिनट लगे। तीनों मरीजों का मुफ्त इलाज किया गया।
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