जल्दी नहीं मिलती जांच रिपोर्ट, परिसर में ही डटे रहते हैं संदिग्ध मरीज

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लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में सीनियर डॉक्टर्स, रेजिडेंट व जूनियर डॉक्टर्स के अलावा नर्सिंग स्टाफ कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहा है। यही नहीं अब कुलपति कुलसचिव सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारी भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। लोगों में चर्चा है कि कोरोना की जांच रिपोर्ट देर से मिलना उसका बहुत बड़ा कारण हो सकता है। केजीएमयू के डॉक्टरों, रेजिडेंट डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ वह अन्य में चर्चा है कि कोरोना की जांच कराने के बाद मरीज जांच रिपोर्ट के लिए परिसर रैन बसेरा या इलाज के लिए डॉक्टरों से संपर्क करता रहता है। ऐसे में अगर मरीज संक्रमित है तो वह जांच रिपोर्ट मिलने तक केजीएमयू परिसर में संक्रमण फैलाता रहता है।

 

बताया जाता है कि यहां पर इलाज कर रहे डॉक्टरों ने पहले भी केजीएमयू प्रशासन से अनुरोध किया था कि यहां पर आने वाले मरीजों की जांच रिपोर्ट पहले दे दिया जाया करें ताकि उनका इलाज शुरू कर दिया जाए, लेकिन बताया जाता है कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आने वाले नमूनों के साथ ही यहां के नमूने भी जांच के लिए लगाए जाते हैं। जिसके कारण जांच रिपोर्ट आने में 2 दिन लगभग लग जाते हैं। कभी-कभी जांच रिपोर्ट 24 घंटे में भी मिल जाती है। यह तभी संभव हो पाता है जब वह इमरजेंसी में जांच करा रहा हो। करोना की जांच कराने के लिए सुबह से लोगों की लंबी कतारें शाम तक आसानी से देखी जा सकती हैं जोकि परिसर में ही घूमा करते हैं। अभी कुछ दिन पहले केजीएमयू स्थित रैन बसेरा में दो कोरोना संक्रमित मरीज मिलने की पुष्टि से हंगामा मच गया था। इसी प्रकार रेजिडेंट डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टॉफ ने भी कोरोना बचाव के लिए व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाया था। केजीएमयू के डॉक्टरों व अन्य लोगों का मानना है कि कोरोना की जांच रिपोर्ट यहां के मरीजों व अन्य लोगों को प्राथमिकता के आधार पर जल्दी देनी होगी ताकि वह लोग अपने इलाज को कराने में डॉक्टरों की मदद ले सके।

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