न्यूज डेस्क। चीनी फिल्म ‘ डाइंग टू सर्ववाइव” ने चीन में भारत से सस्ती दवाओं के आयात की बहस को फिर से केंद्र में ला दिया है। चर्चा है कि फिल्म की वजह से इंडिया से दवाओं के आयात को अनुमति देने की जरुरत पर नयी बहस शुरु हो गई है, क्योंकि इंडियन मेडिसिन खास कर कैंसर की दवाएं पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम दाम पर हैं।
फिल्म लियुकेमिया के एक मरीज लू योंग की सच्ची कहानी पर आधारित है, जो कैंसर के करीब 1,000 मरीजों के इलाज के लिए इंडिया से सस्ती दवाओं की तस्करी कर उन्हें चीन में बेचता है। इससे मरीजों के इलाज की लागत सस्ती हो जाती है, जो स्विट्जरलैंड की दवाओं के मुकाबले बहुत कम है।
बताते चले कि भारत चीन पर लंबे समय से भारतीय दवाओं का आयात करने के लिए दबाव बना रहा है। इसके माध्यम से वह चीन के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करना चाहता है। दोनों देशों के बीच होने वाले 84 अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार में भारत का घाटा 51 अरब डॉलर है। अगर ग्लोबल टाइम्स की रपट को देखा जाए तो कुछ भारतीय दवा कंपनियां चीन में काम कर रही हैं, जिन्हें वहां के खाद्य एवं दवा प्रशासन से किसी तरह के निर्यात की अनुमति नहीं मिली है। हालांकि चीन में भारत से दवाओं की तस्करी होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आैर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच वुहान अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में भारत से चावल, चीनी आैर दवाओं के चीन को निर्यात पर बातचीत हुई है। इसके बाद इस क्षेत्र के लिए कुछ आस जगी है। फिल्म ने सस्ती भारतीय दवाओं के चीन में आयात के मुद्दे को एक नयी ऊर्जा दी है। कुछ विशेषज्ञ जहां इस मामले में भारत के लिए रोड़े दूर करने की बात कर रहे हैं तो कुछ का कहना है कि चीन को इस क्षेत्र में बड़ा निवेश करना चाहिए, ताकि वह खुद की जेनेरिक दवाएं बना सके।
अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.