उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के बाद किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) इण्डोब्रोनकल अल्ट्रासाउण्ड की सुविधा प्रदान करने वाला प्रदेश का दूसरा चिकित्सा संस्थान बन गया है। इसकी जांच के लिए अब मरीजों को दिल्ली व मुंबई जैसे बड़े चिकित्सा संस्थानों में नहीं जाना पड़ेगा।
अभी तक यह सुविधा उत्तर प्रदेश में केवल पीजीआई में ही उपलब्ध है। वहां पर लम्बी वेटिंग के कारण मरीजों को इस जांच के लिए मुंबई या दिल्ली का रूख करना पड़ता था। अब यह जांच केजीएमयू मेें भी हो सकेगी, वह भी किफायती दर पर।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रो. डा. अजय वर्मा ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि इस जांच की मद्द से पेट व फेफड़े की ऐसी गांठें जो सीटी स्कैन, एक्सरे या दूरबीन से भी नहीं दिखती हैं। उनके बारे में पता चल सकता है। डा. वर्मा ने बताया कि इण्डोब्रोनकल अल्ट्रासाउण्ड से हम एक सेन्टीमीटर तक उससे बड़े सैम्पल ले सकते हैं। इससे अलावा उन गांठों के चारों तरफ के स्पेस के बारे में हम जानकारी ले सकते हैं।
एंडोब्रॉनिकियल अल्ट्रासाउंड (ईबीयूएस) एक नई तकनीक है जो प्रारंभिक उपचार के लिए सटीक और समय पर निदान सुनिश्चित करता है। इसका उपयोग फेफड़ों के संक्रमण,कैंसर, और अन्य रोगों के निदान के लिए किया जाता है। ईबुस एक लचीला ब्रोन्कोस्कोप है जो एक लघु अल्ट्रासाउंड जांच के साथ आता है जो इसके साथ फिट किया जाता है।
इस जांच के लिए रोगी को बेहोश कर नाक या मुंह के जरिये बड़े वायुमार्ग में एक छोटी सी ट्यूब डाली जाती है। अल्ट्रासाउंड मिनी जांच से वायुमार्ग, फेफड़े, रक्त वाहिकाओं और ऊपरी छाती के लिम्फ नोड्स के आसपास का पूरा दृश्य स्पष्ट हो जाता है। जांच से प्राप्त नमूनों को देखने के बाद चिकित्सक मरीज की समस्या से पूरी तरह वाकिफ हो जाता है,जिससे आगे का सटीक इलाज सम्भव होता है।
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