इस जांच से जटिल बीमारी की पहचान आसान

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लखनऊ । रेडियोलॉजी ने बीमारियों को पहचानने में सहायता मिल जाती है। इस कारण फंगस व टीबी के अंतर को सटीक तरीके से पक ड़ा जा सकता है। पहचान होने से फंगस के मरीजों को समय पर इलाज मिल जाता है। यह जानकारी एम्स दिल्ली की डा. आशु सेठ भल्ला दे दी। डा. भल्ला केजीएमयू के कलाम सेंटर में आयोजित रेजिडेंट एजुकेशन प्रोग्राम में सम्बोधित कर रही थी। डॉ. भल्ला ने बताया कि टीबी की तरह ही लगातार बुखार, सांस में तकलीफ, बैकबोन में खून होना यह भी फंगस के ही लक्षण हो सकते है।

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पहले जांच की उच्चस्तरीय तकनीक व सुविधाएं कम होने की वजह से इसकी पहचान नहीं हो पाती थी। अब रेडियोलॉजी से यह संभव हो रहा है। उन्होंने बताया कि टीबी को 2020 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन यह मुश्किल लग रहा है। बीमारियों की पहचान के लिए अब सीटी और एमआरआई की पहले इतनी जरुरत नहीं रह गई क्योंकि तकनीकी खूबियों की वजह से अल्ट्रासाउंड में भी बड़ी बीमारियों की पहचान आसानी से हो जा रही है।

केजीएमयू के डॉ. अनित परिहार ने बताया कि अल्ट्रासाउंड से सीटी स्कैन कराने की नौबत अब 25 फीसदी तक कम हो गई है। विशेषकर छोटे बच्चों को इसका बड़ा फायदा हुआ है। अल्ट्रासाउंड में सीटी स्कैन और एमआरआई की तुलना में रेडिएशन का खतरा भी कम हो जाता है। रेडियोलॉजी विभाग की हेड प्रो. नीरा भाटिया ने बताया कि इस कार्यक्रम से मेडिकोज को रिसर्च की तैयारी करने में काफी मदद मिली है। विशेषज्ञों ने थिसिस लिखने, टॉपिक चुनने के तरीके भी बताए। यह कार्यक्रम एमडी करने मेडिकोज के लिए कारगर साबित होगा।

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