लखनऊ – ब्रेन स्ट्रोक सहित दिमाग की अन्य जटिल बीमारियों के मरीजों को अब एक विशेष तकनीक से गोमतीनगर स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग में इलाज मिल सकेगा। यहां लगभग दस करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक डिजिटल सब्सट्रेक्शन एंजियोग्राफी (डीएसए) लैब बन रही है। लैब का काम अंतिम दौर में है, लगभग 25 से 30 दिन बाद मरीजों को लैब में अत्याधुनिक इलाज मुहैया कराया जा सकेगा।
लोहिया संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग में ब्रेन में जमा ब्लड की क्लाटिंग (थक्के) को हटाने के लिए दिमाग की सर्जरी करनी पड़ती थी। इसके अलावा ट्यूमर के लिए भी जटिल सर्जरी हो रही है। न्यूरो सर्जरी विभाग प्रमुख डॉ. दीपक सिंह का कहना है कि डीएसए लैब में ब्रेन की गंभीर जटिल बीमारियों से पीड़ित मरीजों को बिना जटिल सर्जरी के उच्चस्तरीय इलाज मिलेगा। उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार का होता है। पहली स्थिति में ब्रेन में ब्लडिंग होने लगती है, जब कि दूसरे प्रकार में ब्रेन में ब्लड का सर्कु लेशन रूक जाता है। ऐसी स्थिति में जांघ की नस से दिमाग तक एक विशेष तकनीक से तार पहुंचाया जाएगा।
इसके बाद ब्रेन की रक्त वाहिका में जमा ब्लड क्लाटिंग को हटा दिया जाएगा आैर ब्लड सर्कुलेशन सामान्य हो जाता है। इसी तरह इस लैब में ब्रेन के ट्यूमर के मरीज को भी सटीक मिल सकेगा। इसके अलावा ब्रेन की अन्य जटिल बीमारियों को ठीक किया जा सकेगा। इस तकनीक से सर्जरी करने सफलता दर भी बढ़ जाएगी। 70 से 80 तक की बीमारियों का इलाज इस मशीन से संभव होगा। इस तकनीक से सर्जरी करने पर ब्लड लॉस भी कम होगा आैर मरीज को रिकवरी भी जल्दी मिले सकेगी। डा. सिंंह ने बताया कि ब्रोन सम्बधी दिक्कत होने पर विशेषज्ञ डाक्टर से जल्द से जल्द परामर्श लेना चाहिए। अक्सर लोग काफी देर कर देते है आैर मरीज की जान पर बन आती है।
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