इस तकनीक से स्पाइन की सर्जरी कारगर

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के आर्थोपेडिक्स विभाग के 66 वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यशाला में मंगलवार को मिनिमल इनवेजिव सर्जरी तकनीक से रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड) से जुडी बीमारियों की लाइव सर्जरी जानकारी दी। यह सर्जरी यूएस से आये डाक्टर मदद से दो छोटे चीरे से स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ी बीमारियों की। इसके अलावा स्पाइन में चोट लगने सर्जरी करने की तकनीक की सिखायी। यह जानकारी आर्थोपेडिक्स विभाग के प्रो. आर एन श्रीवास्तव ने दी।

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डा. श्रीवास्तव ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम में लिम्ब सेंटर के आपरेशन थियेटर में स्पाइनल कॉर्ड से जुडी बीमारियों की लगभग सात सर्जरी मरीजों की गयी। उन्होंने बताया कि इस नयी तकनीक से होने वाली सर्जरी से मरीज़ को ऑपरेशन के 48 घंटे में डिस्चार्ज किया जाएगा। मिनिमल इनवेजिव सर्जरी तकनीक से होने वाली सर्जरी में ब्लड लॉस बहुत कम होता है। मरीज को लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है। इस वजह से वह जल्दी अपनी होश में आ जाता है। उन्होंने बताया कि अभी तक उनके विभाग में प्रत्येक महीने स्पाइनल कॉर्ड से जुड़े मामलों में करीब 30 सर्जरी होती है। उन्होंने बताया कि मिस के जरिये हुई सर्जरी का प्रशिक्षण मिलने के बाद जल्द ही केजीएमयू में भी इस तकनीक से सर्जरी की जाएगीं। दोनों ही तकनीक का खर्चा लगभग एक जैसा ही होगा। ऐसा इस लिए है क्योंकि इस सर्जरी में लगने वाले इम्प्लांट का दाम एक जैसा ही है। ऐसे में मरीज़ को इस सर्जरी को कराने में कुल 70 हज़ार रूपए का खर्च आएगा। वहीँ निजी अस्पतालों में यह सर्जरी लाखों में होती है।

सर्जरी यूएस से आए डॉ. अलोक शरन ने बताया कि वह नयी तकनीक से स्पाइनल कॉर्ड के विभिन्न प्रकार के ऑपरेशन करते हैं। जिसमे टीलिफ; ट्रांस फोर्मिनल लुम्बर, इंटरबॉडी फ्यूज़नद्धए पीलिफ ,पोस्टिरियल लुम्बर इंटरबॉडी फ्यूज़नद्ध और टीबी स्पाइन की सर्जरी काफी कॉमन होती जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मिस तकनीक के जरिये यह सर्जरी एक घंटे में की जाती है। वहीँ इसे ओपन सर्जरी के तहत करने में वक़्त करीब तीन घंटे लग जाता है।

प्रो. आरएन श्रीवास्तव ने बताया कि अभी केजीएमयू में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी की ओपन सर्जरी में 10 से 15 सेंटीमीटर का चीरा लगाना पड़ रहा है। चीरा लंबा होने से मरीजों को दस दिन तक अस्पताल में ठहरना पड़ता है। इसमें ब्लड ज्यादा बहता है और मरीज़ के टांके लगने से घाव और कटी हुई मांसपेशियां जुड़ने में भी वक़्त लगता है। मिस तकनीक से होने वाले ऑपरेशन में महज तीन सेंटीमीटर के दो चीरे लगते हैं। इसमें न ही ज्यादा खून बहता है और लोकल एनेस्थीसिया से ही मरीज़ को ऑपरेट कर दिया जाता है। ऐसे में मरीज़ तेज़ी से रिकवर कर जाता है।

मिनिमल इनवेजिव सर्जरी तकनीक से इन बीमारियों में होता है सर्जरी से इलाज

  • संक्रमण होना
  • चोट लगना
  • ट्यूमर होना
  • एंकायलूजिग स्?पांडेलाइटिस और स्कोलियोसिस जैसी स्थितियां
  • स्पाइनल स्टेनोसिस और हर्नियेटेड डिस्क जैसे उम्र बढ़ने के साथ होने वाले अस्थि परिवर्तन

स्पाइनल कॉर्ड की बीमारियां

  • गलत ढंग से बैठना और दैनिक कामकाज करना इसके प्रमुख कारण हैं। लेट कर या झुक कर पढना या काम करनाए कंप्यूटर के आगे बैठे रहना इसका कारण है।
  • वजन उठानेए अनियमित दिनचर्या झटका लगने अचानक झुकने गलत तरीके से उठने-बैठने की वजह से दर्द हो सकता है।
  • स्पाइनल टीबी में स्पाइन के प्रभावित भाग में सूजन वजन का हद से ज्यादा कम होना कमजोरी महसूस करनाए स्टूल व यूरिन पास करने में परेशानी होती है।
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