लखनऊ। कड़ाके ठंड बढ़ने के साथ ही बच्चों में कोल्ड डायरिया का प्रकोप बढ़ रहा है। केजीएमयू, लोहिया संस्थान सहित बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल के अलावा लोक बंधु अस्पतालों में भी कोल्ड डायरिया के मरीज पिछले दिनों की अपेक्षा बढ़े है। इमरजेंसी में कोल्ड डायरिया के तीन चार मरीज लगातार आ रहे है। बच्चों ही बड़े भी कोल्ड डायरियां की चपेट में आ रहे है।
कोल्ड डायरिया में दस्त,उल्टी के साथ भूख न लगना, कपकपी लगना,शरीर में पानी की कमी होने पर पैरों में एेंठन, पेट में व मांस पेशियों में दर्द की शिकायत होने लगती है। अक्सर सर्दी जुकाम से दस्त हो सकता है। ऐसे में बच्चों को डिहाइड्रेशन आैर ठंड से बचाना चाहिए। खास कर नवजात शिशुओं के लिए स्तन पान का विकल्प नहीं है।
इस लिए अधिक बार स्तन पान कराना चाहिए आैर मां की पौष्टिक आहार लेना चाहिए। डाक्टरों की मानें तो ठंड में जोयारोट्रों वायरस, इंट्रोवायरस, क्लैपसेला आैर ईकोलाई वायरस के कारण परेशानी होती है। केजीएमयू ,लोहिया संस्थान के बाल रोग विभाग की इमरजेंसी में लगातार कोल्ड डायरिया से पीड़ित बच्चें पहुंच रहे है। बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक बाल रोग विशेषज्ञ डा. हिमांशु का कहना है कि ठंड से बच्चों को बचाना चाहिए। इस मौसम में सर्दी जुकाम के साथ डायरिया होना भी बढ़ रहा है। उनके यहां बच्चों के अलावा ठंड के कारण बड़े भी कोल्ड डायरिया की चपेट में आ रहे है।
ठंड लगने के बाद सर्दी जुकाम तो भले ही कम दिखे, लेकिन अगर पेट में दिक्कत होने लगे आैर उल्टी होने लगती है। ऐसे लक्षण मिलने पर तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। डाक्टरों का मानना है कि कड़ाके ठंड में बुजुर्गो को सुबह ठंड में टहलने से बचना चाहिए। अगर निकलते है धूप निकलने के बाद ही वॉक पर निकलें। इस दौरान टोपी मफलर लगाने के अलावा मास्क का भी प्रयोग करना चाहिए।