जानिए पपीते के कैप्सूल खाने के फायदे

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आयुर्वेद में सभी बीमारियों की दवा है वह जड से बीमारी समाप्त करने के लिए यह बात आजकल मच्छर जनित बीमारियों के इलाज में खरी उतर रही है। डेंगू व बुखार में आयुर्वेद दवाएं ही कारगर है अन्यथा एलोपैथ में तरल पदार्थ व पैरासीटॉमाल के अलावा दूसरी कारगर नही है।जबकि बुखार में प्लेटलेटस कम होने पर इसको चढाया जाता है पर आयुर्वेद में प्लेटलेटस कम होने पर पपीते की पत्त का रस, गिलोय का सेवन रोगप्रतिरोधक क्षमता ही नही बढाती है बल्कि प्लेटलेट्स को बढा भी देती है।

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आयुर्वेद की दवाए कारगर है मच्छर जनित बीमारियों में –

कुछ फलों का लगातार सेवन भी शरीर को   सही रखता है। आजकल लोग बाजार में गिलोय तुलसी की घनवटी व तरल में मांग बढती जा रही है। यहां तक अब पपीते के गुणों वाले केप्सूल भी बाजार में आ गये है। मंहगे के बावजूद इनकी मांग बहुत अधिक है। हर कोई एम्यून सिस्टम को मजबूत बनाये रखने के लिए प्राकृतिक आहार को लेना चाहता है।

आयुर्वेद के डाक्टर पुनीत का कहना है यह प्राचीन विधि है बीमारियों की पहचान कर औषधियों का चयन महत्वपूर्ण होता है। इसमें सभी बीमारियों का सम्भव है। दूसरी होम्योपैथ में कारगर इलाज देखने को मिल रहा है बुखार को नियंत्रण करने के साथ ही प्लेटलेटस को बढाया जा सकता है। होम्योपैथ विशेषज्ञ डा. अवधेश बताते है कि होम्योपैथ में इलाज है पर समय रहते किया जाए तो सटीक काम करता है।

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