लखनऊ। मोटर साइकिल से एक्सीडेंट होने पर घायल मरीज का हेलमेट कैसे निकाला जाए और इस तरह मरीजों को अस्पताल पहुंचाने से पहले किस तरह एम्बुलेंस में लिटाये। यह सब जानकारी ट्रामा सर्जरी विभाग द्वारा प्रदेश में पहली बार 9वीं इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रामा एंड एक्यूट केयर (आईएसटीएसी) में डा. संदीप तिवारी ने दी। कन्वेंशन सेंटर मे चल रही तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में वेंटिलेटर पर भर्ती के लिए मरीज की पहचान व मांसपेशियों की चोट को डायग्नोस करना तथा उसे ठीक करने का प्रशिक्षण दिया गया।
ट्रामा सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि मोटरसाइकिल सवार का एक्सीडेंट में अगर घायल हेलमेट लगाये तो उसे निकालने में सावधानी बरतनी चाहिए। एक झटके से नही निकालना चाहिए। अगर गर्दन में चोट आयी है तो सीधा ही रखना चाहिए। इसके अलावा मरीज को एक तरफ से हाथ और दूसरी तरफ से पैर पकड़ कर लटकाते हुए नहीं उठा कर एम्बुलेंस में लिटाना चाहिए। ऐसे में मरीज का आंतरिंक ब्लीडिंग की ज्यादा बढ़ सकती है। उन्होंने बताया कि मरीज स्ट्रेचर या लकड़ी पट्टे पर सीधा लेटा कर उठा चाहिए।
क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अविनाश अग्रवाल, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के संकाय सदस्य डॉ. जिया अरशद, एम्स दिल्ली ट्रामा सेंटर के संकाय सदस्य डॉ. नरेन्द्र चौधरी, डॉ. दिनेश, डॉ. अभिनव एवं एसजीपीजीआई एनेस्थीसिया एवं क्रिटिकल केयर विभाग के डॉ. संदीप साहू ने एमएस सर्जरी के विद्यार्थियों को चोट की वजह से खून की धमनियों के फट जाने पर उसकी पहचान करना और उनके उपचार विधि के बारे में प्रशिक्षण एवं जानकारी दी। कार्यशाला में डा. अविनाश ने कहा कि अक्सर टेंडन की चोट को डायग्नोस नही हो पाती है। उसे ठीक किया जाए इस बारे में भी प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यशाला में ट्रामा के गंभीर मरीज जिन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता हो उनकी पहचान कैसे की जाए एवं किस प्रकार से उनकों वेंटिलेटर पर डाला जाए कि उनकी जान बचाई जा सके। इसके साथ ही उन्हें वेंटिलेटर चलाने से संबधित सामान्य जानकारी एवं प्रशिक्षण भी दिया गया। इस अवसर पर आयोजित दूसरी कार्यशाला में नर्सिंग एंव पैरामेडिकल के विद्यार्थियों को केजीएमयू के नर्सिंग कॉलेज की प्रिंसिपल रश्मि, पीजॉन, अनुग्रह चरण, एम्स दिल्ली ट्रामा सेंटर के आशीष झकाल, अंकिता शर्मा द्वारा ट्रामा मरीज के प्राथमिक उपचार के तरीके बताये।कई विभिन्न प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण दिया गया, जिससे मरीज को और ज्यादा क्षति होने से रोका जाए और उसकी जान बचायी जा सके। कार्यशाला में सीपीआर के द्वारा मरीज के प्राथमिक उपचार के बारे में प्रशिक्षण एवं जानकारी दी गई।
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