डायबटीज को कंट्रोल करेंगा जामवंत जामुन विकसित

0
629

न्यूज। 20 वर्षो की लगातार कोशिशों के बाद वैज्ञानिकों ने जामुन की ‘जामवंत” किस्म विकसित की है जो, मधुमेह की रोकथाम में कारगर तथा एंटीआक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से सम्बद्ध केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने करीब दो दशक के अनुसंधान के बाद ‘जामवंत” को तैयार किया है । इसमें कसैलापन नहीं है और 90 से 92 प्रतिशत तक गूदा होता है। इसकी गुठली बहुत छोटी है। जामुन के विशाल पेड़ की जगह इसके पेड़ को बौना और सघन शाखाओं वाला बनाया गया है। गुच्छों में फलने वाले इसके फल पकने पर गहरे बैगनी रंग के हो जाते हैं । इस किस्म को व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए जारी कर दिया गया है।

Advertisement

संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ आनंद कुमार सिंह ने यूनीवार्ता को बताया कि मधुमेह रोधी और कई अन्य औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण मधुमेह पीड़तिों के लिए यह जामुन मई से जुलाई के दौरान दैनिक उपयोग का फल बन सकता है। यह एंटीडायबिटिक एवं बायोएक्टिव यौगिकों में भरपूर है। आकर्षक गहरे बैंगनी रंग के साथ बड़े आकार के फलों के गुच्छे इस किस्म की श्रेष्ठता है। मिठास (16 – 17 ब्रिाक्स) इसकी अन्य प्रमुख विशेषता हैं। इसके फल का औसत वजन 24.05 ग्राम है । इसके गूदा में अपेक्षाकृत उच्च एस्कॉर्बिक एसिड (49.88 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम) और कुल एंटीऑक्सिडेंट मूल्य (38.30 मिलीग्राम एईएसी / जी) के कारण इसको पोषक तत्वों में धनी बनाता है । इसके फल जून के दूसरे और तीसरे सप्ताह से निकलने शुरू होते हैं।

जामवंत ताजे फल और प्रसंस्करण दोनों के लिए उपयुक्त है। इसका अधिक गूदा प्रतिशत एवं छोटी गुठली उपभोक्ताओं को आकर्षित करती है और इसका बेहतर मूल्य मिलता है । संस्थान ने किसानों को जामुन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए प्रशिक्षित किया है। अलीगढ़ में इसके क्लस्टर प्लांटेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि इससे मूल्यवर्धित उत्पाद बनाया जा सके ।

संस्थान के निदेशक शैलेन्द्र राजन ने बताया कि जामवंत को किसानों के लिए जारी करने के पहले इस किस्म की उपज और गुणवत्ता के लिए विभिन्न भौगोलिक क्षेाों में परीक्षण किया गया जिसमें इसे उत्तम पाया गया। संस्थान के पास जामुन की बेहतर किस्मों का एक बड़ा संग्रह है, जिसमें अत्यधिक विविधता है। देश में जामुन में बहुत सी विविधता जामुन को बीज के माध्यम से व्यापक रूप से प्रसारित किये जाने के कारण है।

संस्थान के अनुसंधान सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ बीएस चुंडावत ने हाल ही में इसे वाणिज्यिक खेती के लिए जारी किया। संस्थान को देश के अधिकांश हिस्सों से हजारों की संख्या में ग्राफ्ट पौधे की नियमित मांग मिल रही है। ग्राफिं्टग तकनीक के कारण इसके पेड़ पांच साल के भीतर फल देने लगते हैं।

इसके पेड़ को छोटा रखने की तकनीक संस्थान में विकसित की गई है, जो इन ग्राफ्टेड पौधों को वांछनीय ऊंचाई पर बनाए रखने में मदद करता है। फल सामान्य ऊंचाई पर तोड़ने के लिए सामान्य व्यक्ति की पहुंच में होते हैं। ज्यादातर जामुन के पेड़ विशाल होते हैं। शाखाओं को हिलाकर या गिराए गए फलों की तुड़ाई करना मौजूदा प्रथा है लेकिन जामवंत के छोटे पेड़ों से कोई भी आसानी से फल तोड़ सकता है और जमीन पर गिरने के कारण फलों की बर्बादी नहीं होती है।

अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.

Previous articleसिविल में जल्द दो वेंटिलेटर लगेंगे
Next articleऋतिक और धनुष को लेकर फिल्म बनायेगे आनंद एल राय!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here