लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में बंद पड़े जन औषधि केंद्रों दोबारा संचालन के लिए कवायद शुरु हो गयी है। इसके लिए बंद पड़े जन औषधि केंद्रों का बृहस्पतिवार को केंद्रीय टीम ने सरकारी अस्पताल पहुंच कर जांच पड़ताल की। छानबीन के बाद केद्रीय टीम का दावा है कि सरकारी अस्पतालों में जन औषधि केंद्रों को मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। इन केन्द्रों पर विभिन्न बीमारी में प्रयोग होने वाली 14000 मेडिसिन व सर्जिकल सामान मौजूद रहेगा। बताया जाता है कि योजना के अनुसार मॉडल केन्द्रों का निर्माण कार्य जनवरी के दूसरे हफ्ते में किया जाना प्रस्तावित है।
बताते चले कि जेनरिक दवाओं को विस्तार देने के बाद लखनऊ में विभिन्न स्थानों व अस्पतालों में 72 जन औषधि केंद्र संचालित किये गये। इन केन्द्रों में 12 सरकारी अस्पतालों में शुरू किये गये थे। इन केन्द्रों से संचालन व दवाओं को लेकर काफी संख्या में शिकायतें आने लगीं। इसके बाद अस्पतालों में औषधि केंद्रों के बेहतर संचालन के लिए जिम्मेदारी निजी कम्पनी को सौंपी गयी। ब्यूरो ऑफ फार्मास्युटिकल ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) ने सभी शिकायतों की जांच करायी थी, इसके बाद हकीकत का खुलासा होने पर शिकायतें केन्द्रों का संचालन निरस्त करके सेन्टर खुद चलाने का निर्णय लिया था। बताया जाता है कि इसके बाद से लगभग सभी सेन्टर बंद चल रहे हैं। राजधानी लखनऊ व प्रदेश में जन आैषधि केद्र बंद होने की जानकारी केन्द्र सरकार तक पहंुची, तो गंभीरता से लेते हुए बृस्पतिवार को केंद्रीय टीम लखनऊ पहुंची अौर सरकारी अस्पतालों में बने जन आैषधि केद्रों का निरीक्षण किया। बीपीपीआई ने केजीएमयू, लोहिया संस्थान, सिविल और बलरामपुर अस्पताल के जन औषधि केंद्रों को मॉडल के रूप में विकसित करने का दावा किया है। बीपीपीआई के मार्केटिंग के महाप्रबंधक धीरज शर्मा व लखनऊ के नोडल अफसर नितिन श्रीवास्तव ने अस्पतालों में खुले सेन्टरों का भी निरीक्षण करके विस्तारपूर्वक जानकारी ली। बताया जाता है कि यह भी निर्णय प्रस्तावित है कि सरकारी अस्पतालों के जन औषधि केंद्रों को केन्द्र सरकार खुद संचालित करेगी।