हेमा मालिनी, श्रीदेवी, जयाप्रदा, मीनाक्षी शेषाद्रि और माधुरी दीक्षित आदि कितने ही ऐसे नाम हैं जिन्होंने एक्टिंग के साथ-साथ अपने डांस की बदौलत भी वर्षों तक सबके दिलों पर राज किया और आज भी कर रही हैं। यही नहीं, उम्र बढऩे के बावजूद आज वे उतनी ही खूबसूरत और फिट नजर आती हैं जितना पहले दिखती थीं। यह सब है डांस की बदौलत।
इस डांस के और भी कई फायदे हैं। डांस आपको फिट ही नहीं रखता, कई तरह की बीमारियों और तनाव से भी बचाता है। डांस वह खूबसूरत आर्ट है, जो फिजिकल एक्सप्रेशंस से जुड़ा है। इसे स्वास्थ्य लाभ का सबसे मजबूत और अंतरंग थेरेपी माना गया है। डांस थेरेपी से शारीरिक और मनोवैज्ञानिक फिटनेस पर बेहतरीन असर पड़ता है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी डांस थेरेपी के कई फायदे हैं। यह साबित हो चुका है कि डांस से शारीरिक संरचना, आत्म-सम्मान, मनोयोग और संवाद क्षमता जैसे गुणों का विकास होता है। यह मानसिक तनाव, डर और चिंता दूर करता है।
एकांकीपन, बॉडी टेंशन, क्रॉनिक पेन और डिप्रेशन की भावना कम करता है। साथ ही, बॉडी की सर्कुलेटरी और रेस्पिरेटरी सिस्टम को तेज करता है। इसे साइकिलिंग जैसे अन्य एरोबिक एक्सरसाइजेज से भी बेहतर माना गया है। किशोर और युवा मानसिक रोगियों के अलावा लर्निंग डिसएबल्ड, विजुअली एंड हियरिंग इम्पेर्यड और उपचार गृह में रह रहे अधेड़ उम्र लोगों में भी डांस थेरेपी के फायदे देखने को मिल रहे हैं। डांस थेरेपी के समर्थकों ने दावा किया है कि ब्रेन इंजरी, एड्स, ऑर्थराइटिस, एम्प्युटेशन, स्ट्रोक, कैंसर जैसी कितनी ही बीमारियों से पीडि़त लोगों को इससे फायदा पहुंचा है।
पुराना है डांस थेरेपी का इतिहास –
डांस थेरेपी की शुरुआत 1940 में मैरियन चास ने अमेरिका में की थी। मैरियन एक प्रोफेशनल वेस्टर्न डांसर थी और वह डांस सिखाती भी थी। जब उसने देखा कि कुछ छात्र भावनाओं को प्रदर्शित करने में काफी दिलचस्पी रखते हैं जैसे अकेलापन, शर्माना और डर, तो उसने उन्हें डांस की तकनीक की जगह उनके मूवमेंट पर ज्यादा ध्यान दिया। इसी दौरान कुछ डॉक्टरों ने उनके पास यह सोचकर बीमारों को भेजना शुरू किया कि उनका तनाव कम होगा और कुछ समय बाद मारिया रेड क्रास सेंट एलिजाबेथ हॉस्पिटल की डांस थेरेपिस्ट बन गईं। लेकिन थेरेपी को पहचान 1966 में अमेरिका डांस थेरेपी एसोसिएशन की स्थापना के बाद ही मिली।
महिलाओं को फायदे –
एक ओर जहां पुरुषों को तरह-तरह के खेल और कला प्रदर्शनों के जरिए खुद को तनावमुक्त और फिट रखने में आसानी होती है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं को आत्मविश्वास बढ़ाने, तनाव और अवसाद कम करने सहित शारीरिक व मानसिक रूप से खुद को मजबूत बनाने में डांस महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
तनाव –
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के मुताबिक, अकसर महिलाएं पुरुषों के मुकाबले दोगुने तनाव में रहती हैं। ऐसे में डांस थेरेपी के जरिए उनके तनाव और अवसाद को दूर किया जा सकता है, आत्मविश्वास और आत्म-चेतना बढ़ाकर उनमें स्वस्थ होने का अहसास जगाया जा सकता है। दूसरी ओर, यूनिवर्सिटी ऑफ हैडलबर्ग के एक अध्ययन के मुताबिक, मनोरोगियों को दुख और विषाद से बाहर निकलने में डांस थेरेपी अमूल्य योगदान देती है। आज तरह-तरह की बीमारियों में डांस थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है।
याददाश्त रहे बरकरार –
उम्र के साथ धीरे-धीरे व्यक्ति की मस्तिष्क कोशिकाएं कमजोर होने लगती हैं। ऐसे में व्यक्ति चीजें भूलने लगता है, जैसे- सबसे पहले वह लोगों के नाम भूलने लगता है। नियमित रूप से डांस करते रहने से एजिंग की समस्या नहीं घेरती और याददाश्त भी बेहतर बनी रहती है।
कैंसर सर्वाइवर्स
अमेरिकन कैंसर –
सोसाइटी की मानें तो ज्यादातर लोगों के लिए डांस थेरेपी प्रभावशाली उपचार का एक माध्यम है। कुछ साल पहले ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को बेहतर जीवन देने में डांस मूवमेंट्स थेरेपी का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। इस अध्ययन के बाद महिलाओं की बॉडी इमेज को बेहतर बनाकर उनके अंदर से शोक और मौत का भय निकालने में भी काफी मदद मिली।
शारीरिक फिटनेस –
फिटनेस, वजन पर नियंत्रण, क्रॉनिक इलनेस और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म पर नियंत्रण में डांस थेरेपी मददगार है। डांस थेरेपी के जरिए भी हर तरह के कॉर्डियोवैस्क्युलर एंड्रयूरेंस ट्रेनिंग एक्सरसाइज के फायदे का लाभ उठाया जा सकता है। 30 से 45 मिनट तक नियमित रूप से हफ्ते में पांच से छह दिन भी डांस करें तो हृदय रोग या कैंसर का खतरा कम हो सकता है। नियमित रूप से डांस थेरेपी का प्रयोग शारीरिक रूप से आपको फिट ही नहीं रखता साथ ही, शरीर का पुराना दर्द और तनाव कम हो जाता है।
हिंसा से बचाव –
डांस थेरेपी के जरिए सामाजिक और भावनात्मक मुद्दों के साथ-साथ बच्चों में प्रॉब्लम बिहेवियर न्यू स्किल्स के साथ डील करने के तरीके भी सुझाए जाते हैं। इसके जरिए बच्चों में हिंसा और गाली-गलौज जैसी गलत आदतों को भी कम किया जा सकता है।
सावधानियां –
किसी भी अन्य एक्सरसाइज की तरह डांस थेरेपी शुरू करने से पहले भी डॉक्टर से सम्पर्क करना न भूलें, खासकर यदि आप कैंसर या ऑर्थराइटिस जैसे जटिल स्थिति से गुजर रहे हों। महज डांस थेरेपी से हर तरह की बीमारी के लक्षणों में सुधार देखने को नहीं मिल सकता इसलिए स्वास्थ्य से जुड़ी जटिलताएं दूर करने के लिए मेडिकल केयर और मेडिकल थेरेपी आगे बढ़ते रहें। डांस थेरेपी के समर्थकों ने दावा किया है कि ब्रेन इंजरी, एड्स, ऑर्थराइटिस, एम्प्युटेशन, स्ट्रोक, कैंसर जैसी कितनी ही बीमारियों से पीडि़त लोगों को इससे फायदा पहुंचा है।