हम सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम जश्न शाम ए कथक का आयोजन 27 फरवरी 2019 को कैसरबाग स्थित राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में किया गया। जिसमें सांस्कृतिक क्षेत्र के प्रख्यात कलाकारों ने शिरकत की। गायन में रेनू लता कौल जो कि आर्मी पब्लिक स्कूल लखनऊ में संगीत की शिक्षिका है।कथक में समीक्षा शर्मा एवं समूह नई दिल्ली, बेंगलुरु से आई कथक कलाकार अमृत्त्या चटर्जी एवं स्तंभ ग्रुप से कथक कलाकार अर्चना बाजपेई आदि कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां देकर अवध की शाम को और भी खूबसूरत बना दिया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि एक्स केबिनेट मंत्री आदरणीय श्री नकुल दुबे जी ने दीप प्रज्वलित कर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का शुभारंभ किया। इसी क्रम में सम्मान कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जिसमें एक्स केबिनेट मंत्री श्री नकुल दुबे, अल्पिका साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था की अध्यक्ष श्रीमती उमा त्रिगुनायत, समाज सेविका श्रीमती संगीता जयसवाल, कवित्री डॉ सीमा वर्मा को पुष्पगुच्छ व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया इसी दौरान मंच पर साहित्यकार प्रतिभा श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई गिन्नी पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के आरंभ में प्रथम प्रस्तुति श्रीनगर में जन्मी शास्त्रीय गीत गायक कलाकार श्रीमती रेनू लता कौल जिन्होंने गायन में प्रारंभिक शिक्षा पंडित जगरनाथ शिवपुरी उसके बाद पंडित शंभूनाथ शोपोरी से ग्रहण की। वर्तमान में आर्मी पब्लिक स्कूल लखनऊ में संगीत की शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं द्वारा पेश की गई।
रेनू लता कौल ने मंच पर अपनी प्रथम गायन प्रस्तुति में शंकर नटराज भैरव महाकाल महादेव भजन गाकर कार्यक्रम का आरंभ किया वहीं दूसरी प्रस्तुति में श्री मोहन दास जी द्वारा लिखी हुई गजल कांच टूटा धूप का जार जार हुआ, मैं ही था जो रंग से घायल हुआ गाकर दर्शकों की खूब तारीफ बटोरी। बूमरो बूमरो श्याम रंग बूमरो कश्मीरी गीत की शानदार प्रस्तुति ने लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में दिल्ली से आई प्रख्यात कलाकार शर्मिष्ठा शर्मा जिन्होंने राष्ट्रीय कथक केंद्र नई दिल्ली के विश्व प्रसिद्ध कलाकार पंडित राजेंद्र गंगानी से कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की, इसी के साथ वर्तमान में राष्ट्रीय कथक केंद्र में गुरु के पद पर आसीन हो कथक नृत्य पर नित्य नए प्रयोगों का विस्तार कर रही हैं। मंच पर अपनी दो शिष्याओं निकिता सिंह, दीपाली जोशी के साथ कथक नृत्य के जयपुर घराने की शुद्ध पारंपरिक प्रस्तुति प्रहार, उठान, ठाट, आमद, तिहाई, गणेश परन, आदि तथा तीन ताल में आकर्षक प्रस्तुति पर दर्शकों की भरपूर तालियां अपने नाम की।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजी शाम में बंगलौर से आई कथक कलाकार अम्रत्त्या चटर्जी जिन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता के विश्व प्रसिद्ध कलाकार पंडित संतोष चटर्जी से हासिल की, आगे चलकर लखनऊ घराने का कथक की शिक्षा पंडित बिरजू महाराज एवं सरस्वती सरस्वती सेन से हासिल की। अम्रत्तया चटर्जी ने मंच पर अपनी प्रस्तुति में शाम ए मुगल थीम पर ग़ज़ल “कभी बन संवर के आए” पर अभिनय शैली में कथक नृत्य एवं तोड़ा पर कुशल भावभंगिमा के साथ कला प्रेमियों को मंत्र मुग्ध कर दिया। अपनी दूसरी प्रस्तुति में दरबारी तराना पंडित बिरजू महाराज की कंपोजिशन पर झपताल पर तोड़ा, परन, तराना, सरगम के मिश्रण से कथक नृत्य का मंच पर अद्भुत रूप प्रस्तुत किया अपनी अंतिम प्रस्तुति में परवीन सुल्ताना की नजम “आज जाने की जिद ना करो” पर भाव मई कथक नृत्य अभिनय प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव पर कथक नृत्य को समर्पित शास्त्रीयता का प्रतिबिंब संस्था स्तंभ के अंतर्गत “धा” के अंतर्गत विभिन्न स्वरूपों एवं उसमें छिपे भावों को दर्शाने की कोशिश की गई। प्रस्तुति में दर्शाया गया कि किस प्रकार शिव के हर नृत्य गति में “धा” समाहित है, जिसमें कृष्ण के नूपुर से निकली हर स्वर में धा प्रवाहित है। अंतिम दृश्य में प्रस्तुत किया गया धा गतिशील है। वह स्थिर होते हुए भी प्रवाहित है वह पूर्ण विराम नहीं परंतु अल्पविराम है जो निरंतर गतिमान है ।
प्रस्तुति में भाग लेने वाले कलाकार अर्चना तिवारी, आकृति भारद्वाज, काव्या राजपाल, देवांशी तिवारी, अपूर्व तिवारी, सिम्मी कुमारी, अश्वनी श्रीवास्तव, अंशुल बाजपेई, पंकज पांडे, सिद्धार्थ राय, अविनाश सिंह आदि ने शिरकत की।
तबले पर मोहित दुबे, सारंगी पर हयात हुसैन, पढ़ंत पर विकास मिश्रा, मोहित रतन दुबे, सिंध पर अविनाश चड्ढा, परिकल्पना अवधारणा श्रीमती अर्चना तिवारी द्वारा कि गई।
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