आयुर्वेदाचार्य डाॅ. प्रताप चौहान के अनुसार हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए आपका लिवर का तंदरुस्त होना बेहद आवश्यक है। पीलिया का एक प्रमुख कारण हैपेटाइटिस ए है, दूषित पानी या भोजन के माध्यम से यकृत रोग फैलता है, यह एक ऐसा मस्तिष्क है जो मानसून के दौरान काफी फैलता है।
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आयुर्वेद में माना जाता है कि सभी बीमारियां तीन बल या दोषों के असंतुलन के कारण होती हैं वात, पित्त और कफ, प्रकृति के पांच तत्वों से प्राप्त होती हैं। कैसे रखे अपनी जीवनशैली में बदलाव करके अपने लिवर को तंदरुस्त बनाते है .
आयुर्वेदिक दृष्टि और उपचार –
- गर्म, आॅयली, मसालेदार, नाॅनवेज और हैवी फूड से परहेज करें।
- रिफाइंड आटा, पाॅलिश किए हुए सफेद चावल, डिब्बाबंद और संरक्षित खाद्य पदार्थ, केक, पेस्ट्रीज, चाॅकलेट्स, एल्कोहोलिक पेय पदार्थ और ऐरेटिड पेय से दूरी बनाएं।
- इनके स्थान पर शाकारही आहार, पूर्ण गेंहू का आटा, ब्राउन या फिर पार्बोइल्ड चावल, हरी पत्तेदार सब्जियां, पपीता, खीरा, सलाद, नारियल पानी, टमाटर, पालक, भारतीय करौंदे (आंवला), अंगूर, मूली, नींबू, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची के सेवन की मात्रा बढ़ाएं।
- अनावश्यक एक्सरसाइज और चिंता या फिर गुस्सा जैसी तनावपूर्ण स्थितियों से बचने का प्रयास करें।
- पर्याप्त मात्रा में आराम करें।
- जहां तक संभव हो धूप में या फिर बाॅयलर और भटिटयों के आस पास कार्य ना करें।
आयुर्वेदिक चिकित्सा लेने पर भी समय समय पर आपको अपने लिवर की जांच करते रहना चाहिए। रोगी की आँखों व् त्वचा के रंग से भी अंदाजा लगाया जा सकता है की वह स्वस्थ है या हेपेटाइटिस की चपेट में है।