लखनऊ। गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डा. दीपक मालवीय ने तीसरे तल के सीवेज डक्ट से गिर कर मरीज की मौत के बाद अपनी खामियों को छुपाने के लिए जांच के निर्देश तो दे दिये, लेकिन हकीकत यह है कि सात मंजिला भवन में ज्यादातर फ्लोर के सीवेज डक्ट खुले है आैर कूड़ा फेंकने के लिए प्रयोग किये जा रहे है। रविवार को अवकाश के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी व इंजीनियर सक्रिय रहे आैर डक्ट को बंद की कार्रवाई शुरु कर दी गयी। फिलहाल मामले का पटाक्षेप करने के लिए मरीज की मौत के मामले में जांच शुरू हो गई है।
लोहिया संस्थान में मरीज की डक्ट से गिरने में प्राथमिक जांच में ही ड्यूटी पर तैनात नर्स, वार्ड ब्वॉय के अलावा सिविल इंजीनियर की भारी लापरवाही उजागर हुई है। बताते है कि तीन वर्ष पहले खुली पड़ी डक्ट में दरवाजा लगाने के लिए पत्र लिखा गया है, मगर समस्या का समाधान नहीं किया गया जो मरीज के लिए जानलेवा साबित हुआ। दरअसल लोहिया संस्थान में भर्ती गोरखपुर निवासी रामप्यारे गुप्ता की तीसरे मंजिल से डक्ट में गिरकर मौत हो गई थी। शनिवार सुबह कार्डियोलॉजी, सीटीवीएस वार्ड में हुए हादसे को शाम तक स्टाफ ने छुपाए रखा। शाम को जानकारी मिलने पर निदेशक डॉ. दीपक मालवीय व चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुब्रात चंद्रा ने ड्यूटी पर तैनात सिस्टर इंचार्ज व वार्ड ब्वॉय को निलंबित कर दिया।
निदेशक डॉ दीपक मालवीय व चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुब्रात चंद्रा का दावा है कि प्राथमिक जांच में सिस्टर इंचार्ज द्वारा डक्ट में दरवाजा लगवाने के लिए दो बार पत्र लिखा जाना पाया गया। एक पत्र वर्ष 2015 व दूसरा 11 जनवरी 2018 का है। यह पत्र मार्क पर सिविल इंजीनियर को भेजा गया। ऐसे में संबंधित मसले पर सिविल इंजीनियर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है, क्योंकि रिमाइंडर मिलने के बावजूद भी उन्होंने दरवाजा क्यों नहीं लगाया। अगर जांच में दोषी पाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि चर्चा है कि निदेशक डा. दीपक मालवीय को भी पहले अलग- अलग फ्लोर पर खुले डक्ट की जानकारी दी गयी थी, लेकिन उन्होंने कोई सुनवाई नही की।